रोगी हो रहे हलकान. . . यह आंखों देखे और रोगियों द्वारा रोज भुगते जाने वाले हालात संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के हैं। मंगलवार को भी अस्पताल में मरीजों की भीड़ ऐसी कि कतारों में खड़े रहकर परेशान और हलकान हो रहे मरीजों को कतार में लगे-लगे ही जमीन पर बैठना पड़ गया। किसी के परिजन. .तो कहीं खुद मरीज कतार में खड़े-बैठे नजर आए। रोगिोयं से बात की तो दर्द फूट पड़ा…। बोले, अस्पताल में जब सारी व्यवस्था ऑनलाइन हो गई तो जगह-जगह कतारें क्यों लगी हुई हैं।
आधा घंटे से खड़े हैं, अलग से खोलें काउंटर अस्पताल में करीब आधे घंटे से पर्ची के लिए लाइन में लगी हुई हूं। यहां कोई व्यवस्था नहीं है। अलग से काउंटर खुलने चाहिएं। अभी तो पर्ची की लाइन है फिर डॉक्टर की लाइन, अगर जांच लिखी और दवा भी लेनी है, पूरा दिन यहीं पूरा हो जाएगा।
सीमा, (गंज-अजमेर) सुबह से लाइन में लगा हुआ हूं। पहले तो मकराना से बस में अजमेर आया हूं। कब पर्ची लूंगा और कब डॉक्टर देखेंगे, दवाइयां देंगे, नहीं मालूम। बैठने की व्यवस्था भी नहीं। मरीजों की परेशानी पर कोई ध्यान नहीं देता है।
सिकन्दर अली, (मकराना) बॉक्स….सोशल डिस्टेंस से नहीं सरोकार जेएलएन अस्पताल में जिस तरह से भीड़ उमड़ रही है, लम्बी कतारें लगी हैं उनमें सोशल डिस्टेंस दूर-दूर तक नहीं। अस्पताल में भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। अस्पताल प्रशासन की ओर से भी कोरोना गाइड लाइन की पालना करवाई जाने से कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा।