वर्षा जल के संग्रहण एवं वन्यजीवों, मवेशियों को गर्मी में पानी उपलब्ध कराने, आमजन में जल के प्रति जागरुकता के लिए ग्रामीणों का कारवां जुड़ता चला गया। गांव में घर-घर से गेंती, फावड़े एवं तगारी लेकर तालाब की आव को खोदने निकले ग्रामीणों के साथ अन्य संगठन व जनप्रतिनिधि भी जुट गए।
राजस्थान पत्रिका की ओर से अमृतम् जलम् अभियान के तहत कायड़ ग्राम पंचायत के तालाब की आव में खुदाई एवं श्रमदान किया गया। वर्षा के दौरान तालाब में पानी की आवक मार्ग में अवरोध को हटाने एवं मिट्टी के भराव को हटाने के लिए सभी ने श्रमदान किया। कैचमेंट एरिया में बबूल की झाडिय़ां, पत्थरों के ढेर, मिट्टी के टीलों की खुदाई कर सफाई की। तालाब में बारिश का पानी बिना अवरोध लाने के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान किया।
यह जनप्रतिनिधि व संगठनों के लोग जुड़े कायड़ में श्रमदान के लिए उप सरपंच सौराज गुर्जर, पूर्व सरपंच रमजान, गजानन्द, एनएसयूआई इकाई अध्यक्ष जितेन्द्र गुर्जर सहित अन्य संगठनों की ओर से भी श्रमदान में आहुति दी गई।
जलसंग्रहण व पानी के प्रति जागरुकता की ली शपथ ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने जल संरक्षण, पानी के महत्व से आमजन को जागरुक करने की शपथ ली। ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि पेयजल के पारंपरिक जल स्त्रोतों के संरक्षण में वे अन्य ग्रामीणों को भी जागरुक करेंगे।
अमृतम जलम का कमाल
यह पत्रिका का अमृतम जलम अभियान का कमाल है, जिसने लोगों को जागरुक किया है। गावों में लोग अलसुबह तगारी, फावड़े, कुदाली लेकर निकल रहे हैं। श्रवण की नाडी की आंव हो या अन्य तालाब…ग्रामीणों ने इन्हें खोदने का बीड़ा उठाया है।
यह पत्रिका का अमृतम जलम अभियान का कमाल है, जिसने लोगों को जागरुक किया है। गावों में लोग अलसुबह तगारी, फावड़े, कुदाली लेकर निकल रहे हैं। श्रवण की नाडी की आंव हो या अन्य तालाब…ग्रामीणों ने इन्हें खोदने का बीड़ा उठाया है।
खासतौर पर महिलाओं में उल्लाह और उत्साह ज्यादा है। गांव के बुजुर्ग भी उनके मार्गदर्शन में पीछे नहीं हैं। उम्र के बंधन ने जरूर उनके हाथ बांध दिए, लेकिन हौसला अफजाई के लिए वे लोगों के साथ खड़े हुए हैं। पत्रिका के अमृतम जलम अभियान को ग्राम पंचायत, जिला परिषद और प्रशासन का भी सहयोग मिल रहा है। ग्रामीणों को भविष्य में खुद और मवेशियों के लिए पानी की महत्त समझ आने लगी है।