विश्वविद्यालय के महाराणा प्रताप भवन स्थित कैश काउन्टर पर डेबिट-क्रेडिट कार्ड या किसी एप से फीस भुगतान का विकल्प नहीं है। डुप्लीकेट मार्कशीट, डिग्री, प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेने वाले विद्यार्थियों से सिर्फ कैश लिया जाता है। इसी तरह, माइग्रेशन, डिग्री, सर्टिफिकेट, मार्कशीट के लिए विद्यार्थियों के डिजिटल लॉकर नहीं बनाए हैं। इससे चार दिन से विद्यार्थियों की भीड़ उमड़ी। ऐसा तब है जबकि कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। पत्रिका ने ‘जिम्मेदारों के ऐसे सरोकार, तो बनेंगे हीं कोरोना के शिकार Ó शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसके बाद विवि में जिम्मेदारों की नींद उड़ी।
बैंक के आईटी विशेषज्ञों से चर्चा
देश के कई संस्थान कैशलेस और ई-पेमेन्ट को बढ़ावा दे चुके हैं। इनमें पेटीएम, गूगल एप, भीम एप, डेबिट-क्रेडिट कार्ड शामिल हैं। शुक्रवार को विश्वविद्याल के वित्त नियंत्रक भागीरथ सोनी ने एसबीआई के आईटी विशेषज्ञों और अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने विवि में कैशलेस पेमेंट विकल्पों को लेकर पूछताछ की। सोनी ने सीबीएसई के अधिकारियों से भी विचार-विमर्श किया।
जिलेवार बुलाएंगे विद्यार्थियों को
परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुब्रतो दत्ता ने बताया कि ज्यादतर विद्यार्थी रिजल्ट में करेक्शन के लिए आ रहे हैं। शुक्रवार से परीक्षा भवन में दस-दस विद्यार्थियों को ही भेजा गया। अब विद्यार्थियों को जिलेवार बुलाया जाएगा। इसके लिए पृथक व्यवस्था होगी।