राजस्थान पत्रिका ने अभियान चला कर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल समस्या का मुद्दा उठाया था। पत्रिका ने विभिन्न गांव-मोहल्लों में जाकर वहां पीने के पानी की वास्तविक स्थिति जानी। इस दौरान भीषण गर्मी में कई महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर दूर स्थित कुएं से पानी भर कर लाती भी नजर आई, जिसे पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया।
इसके अलावा शहरी क्षेत्र में बीसलपुर के पानी को निमार्णाधाीन मकान के हौद में भरने, दलालों के जरिए पानी के अवैध कनेक्शन दिए जाने का खुलासा भी किया। इसके बाद शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी व महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल ने अधिकारियों की बैठक की।
सांसद रघु शर्मा सहित कांग्रेस नेताओं ने जलदाय विभाग को चेतावनी दी। जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत मिश्रा भी यहां आए। साथ ही जिला कलक्टर आरती डोगरा ने भी जलदाय विभाग के अधिकारियों को जलापूर्ति व्यवस्था सुधारने की हिदायत दी।
इन गांवों में पेयजल किल्लत : गेगल आखिरी, जाटली, ऊंटड़ा, होशियारा, सिराणा, मगरा, अरड़का, भवानीखेड़ा नरवर, छातड़ी, गेगल, बंगला की ढाणी मुहामी, अजयसर, लक्की चौराहा, हाथीखेड़ा,चांदियावास, गुढ़ा, नाहर नाड़ा, बबायचा, भूडोल, मानपुरा- नरवर।
शहरी क्षेत्र में समय की पाबंदी :
आदेश में शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति का समय सुबह 5.30 बजे बाद व रात्रि 9.30 बजे से पहले करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद देर रात्रि या तड़के जलापूर्ति नहीं करने को कहा गया है।
आदेश में शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति का समय सुबह 5.30 बजे बाद व रात्रि 9.30 बजे से पहले करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद देर रात्रि या तड़के जलापूर्ति नहीं करने को कहा गया है।
टैंकरों पर दो साल से थी पाबंदी
सरकार ने टैकरों सें जलापूर्ति पर पिछले दो सालों से रोक लगा रखी थी। इसकी वजह टैंकरों के जरिए भ्रष्टाचार व ठेकेदारों की ओर से मनमाने बिल उठाने की शिकायतें आना थी। सरकार व विभाग का दावा था कि बीसलपुर का पानी गांव-गांव पहुंच गया है इसलिए अब टैकरों की सार्थकता नहीं है। लेकिन पत्रिका ने गांवों की स्थिति सामने लाने के बाद टैकरों से जलापूर्ति के आदेश जारी करने पड़े।
सरकार ने टैकरों सें जलापूर्ति पर पिछले दो सालों से रोक लगा रखी थी। इसकी वजह टैंकरों के जरिए भ्रष्टाचार व ठेकेदारों की ओर से मनमाने बिल उठाने की शिकायतें आना थी। सरकार व विभाग का दावा था कि बीसलपुर का पानी गांव-गांव पहुंच गया है इसलिए अब टैकरों की सार्थकता नहीं है। लेकिन पत्रिका ने गांवों की स्थिति सामने लाने के बाद टैकरों से जलापूर्ति के आदेश जारी करने पड़े।