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PATRIKA STING – पैसे खर्च करो साहब पुडिय़ा तो मिल जाएगी, स्मैक हो या चरस सब मिनटों में हो जाएगा उपलब्ध

locationअजमेरPublished: Sep 06, 2018 01:46:18 pm

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patrika sting : ajmer became intoxication hub

PATRIKA STING – पैसे खर्च करो साहब पुडिय़ा तो मिल जाएगी, स्मैक हो या चरस सब मिनटों में हो जाएगा उपलब्ध

अजमेर. नशे की पुडिय़ा को स्ट्रीट पेडलर्स के मार्फत तस्कर दरगाह अन्दर कोट इलाके से आनासागर चौपाटी तक बेच रहे हैं। शहर में नशे का ट्रांजिट पॉइंट अन्दरकोट इलाके में जालियान कब्रिस्तान के आस-पास पहाड़ी क्षेत्र में बसे बांग्लादेशी घुसपैठिए और खानाबदोश मादक पदार्थ तस्करी का काम करते हैं। खास बात यह है दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते यहां पुलिस की कार्रवाई यदाकदा ही सफल हो पाती है। पुलिस की हलचल देख तस्कर अलर्ट हो जाते हैं।
केस -1 : 600 रुपए में स्मैक की पुडिय़ा
गौरव पथ लिंक रोड पर फुटपाथ पर समूह में खानाबदोश के साथ एक कथित बाबा बैठा नजर आया। पत्रिका टीम ने इशारे में नशे की पुडिय़ा की डिमांड की तो उसने तुरन्त पास बुला लिया। अपने झोले से पहले भांग और फिर गांजे की पुडिय़ा थमा दी। जब इससे ज्यादा स्ट्रॉन्ग नशे की डिमांड की गई तो वह 600 रुपए में स्मैक की पुडिय़ा लाकर देने को तैयार हो गया।
अन्दरकोट से सम्पर्क
खानाबदोश बाबा ने बताया कि वह सारा सामान छोडकऱ अन्दरकोट जाएगा। स्मैक महंगी होने के चलते कुछ पुडिय़ा ही रखता है। जब ग्राहक आते हैं तो अन्दरकोट से लाकर दे देता है। इसके लिए वह बतौर कमीशन 100 रुपए लेगा। वहीं गांजा और भांग हमेशा साथ रखता है।
केस-2 : नशे की एवज में पुडिय़ा
उत्तर प्रदेश का 16 वर्षीय दीपू (बदला हुआ नाम) भी दस साल से अजमेर में है। वह आनासागर चौपाटी, बजरंगगढ़ और रामप्रसाद घाट पर पर खानाबदोश जिन्दगी बसर करता है। जब उसके सम्पर्क किया तो वह 130 रुपए में गांजे की पुडिय़ा लाकर देने को तैयार हो गया। बदले में उसने भी एक पुडिय़ा बतौर कमीशन दिलाने की बात कही। सहमति पर वह पत्रिका टीम के साथ रवाना हो गया। पहले वह आनासार बारादरी पहुंचा। यहां पुडिय़ा बेचने वाले के नहीं मिलने पर रामप्रसाद घाट ले गया। दीपू के साथ अन्जान युवक को देखकर तस्कर ने रास्ता बदल लिया।
घर जाकर लौट आता हूं

दीपू ने बातचीत में बताया कि बजरंगगढ़ पर बैठने वाले अधिकांश युवक नशा करते हैं। वह भी दस साल पहले घर से भाग अजमेर आ गया। तब से अजमेर में है। राखी पर घर गया था लेकिन नशे की तलब वापस अजमेर खींच लाई। अब घर में मन नहीं लगता है।
बगावत का मतलब है मौत
नशे के कारोबार में सक्रिय स्ट्रीट पेडलर का अंत मौत है। नशे के कारोबार में लिप्त युवा खुद भी नशे की आगोश में समा जाते हैं। बगावत या छोडऩे की स्थिति में उन्हें जिन्दगी से हाथ धोना पड़ता है। पूर्व में भी अंदर कोट जालियान कब्रिस्तान क्षेत्र में नशे के कारोबार में पेडलर की भूमिका निभाने वाले युवक व महिला की हत्या तक हो चुकी है।

‘पुलिस की है जिम्मेदारी’

धड़ल्ले से बिकते मादक पदार्थ पर जब एनसीबी (नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो) अजमेर से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कुछ बोलने से इन्कार कर दिया। उनका तर्क था कि स्ट्रीट पेडलर्स पर कार्रवाई की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की है। स्ट्रीट पेडलर्स के पास 5-10 पुडिय़ा से ज्यादा नहीं मिलती। एनसीबी तस्कर व बड़ी मात्रा में ड्रग सप्लाई करने वालों पर कूरियर पर कार्रवाई करती है।

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