1-समस्या-दुकानों की हद से बाहर सामान
पड़ाव, मदार गेट, कवडंसपुरा, नया-बाजार, दरगाह बाजार-पुरानी मंडी क्षेत्र में सडक़ें और गलियां पर्याप्त चौड़ी हैं। दुकानों और सडक़ों के बीच भी 5-6 फीट की दूरी है। यहां हमेशा वाहन, हाथ ठेले, रेहड़ी वाले खड़े रहते है। आमदिनों में यहां से निकलना दुश्वार होता है।
पड़ाव, मदार गेट, कवडंसपुरा, नया-बाजार, दरगाह बाजार-पुरानी मंडी क्षेत्र में सडक़ें और गलियां पर्याप्त चौड़ी हैं। दुकानों और सडक़ों के बीच भी 5-6 फीट की दूरी है। यहां हमेशा वाहन, हाथ ठेले, रेहड़ी वाले खड़े रहते है। आमदिनों में यहां से निकलना दुश्वार होता है।
समाधान-सब तैयार सिर्फ पहल की जरूरत
व्यापारी दुकान के अंदर सामान रखें, हाथ ठेले को वेंडिंग जोन में खड़े रहें और वाहनों के लिए पार्र्किंग व्यवस्था हो तो बाजार-सडक़ें लॉकडाउन की तरह खुली नजर आएंंगी।
राजेश गोयल, अध्यक्ष कवडंसपुरा व्यापारिक ऐसोसिएशन
व्यापारी दुकान के अंदर सामान रखें, हाथ ठेले को वेंडिंग जोन में खड़े रहें और वाहनों के लिए पार्र्किंग व्यवस्था हो तो बाजार-सडक़ें लॉकडाउन की तरह खुली नजर आएंंगी।
राजेश गोयल, अध्यक्ष कवडंसपुरा व्यापारिक ऐसोसिएशन
2-समस्या-सडक़ों-बाजारों में भीड़
हजारों वाहन सडक़ों पर दौड़ते रहते हैं। बाजारों में खरीदारी के अलावा भी लोग बेवजह घूमते हैं। कचहरी रोड, आगरा गेट, पुरानी मंडी, नया बाजार और अन्य क्षेत्रों में मुख्य मार्ग, अंदरूनी सडक़ें पार्किंग स्थल बन चुकी हैं।
हजारों वाहन सडक़ों पर दौड़ते रहते हैं। बाजारों में खरीदारी के अलावा भी लोग बेवजह घूमते हैं। कचहरी रोड, आगरा गेट, पुरानी मंडी, नया बाजार और अन्य क्षेत्रों में मुख्य मार्ग, अंदरूनी सडक़ें पार्किंग स्थल बन चुकी हैं।
समाधान-सामूहिक खरीददारी को बनाएं आदत
नई व्यवस्था अपनाने का यही सही वक्त है। केवल कामकाज के लिए घरों से निकलें। कोई अकेला बाजार जा रहा है, तो पड़ौस के लोगों से पूछकर सामूहिक खरीददारी करे तो भीड़ कम होगी। पार्र्किंग पर गाड़ी करने को आदत बनाएं। विवेक जैन, व्यवसायी
नई व्यवस्था अपनाने का यही सही वक्त है। केवल कामकाज के लिए घरों से निकलें। कोई अकेला बाजार जा रहा है, तो पड़ौस के लोगों से पूछकर सामूहिक खरीददारी करे तो भीड़ कम होगी। पार्र्किंग पर गाड़ी करने को आदत बनाएं। विवेक जैन, व्यवसायी
3-समस्या-समारोह में भीड़, खाने की बर्बादी
शादी, वर्षगांठ और अन्य समारोह में अधिक मेहमान बुलाने और तरह-तरह के पकवान बनाने की परम्परा है। लोगों के प्लेट में खाना जोडऩे से भोजन की बर्बादी होती है। दोने-पत्तल, प्लास्टिक के गिलास-बोतल, पेपर नैपकिन इधर-उधर फैंकते हैं।
शादी, वर्षगांठ और अन्य समारोह में अधिक मेहमान बुलाने और तरह-तरह के पकवान बनाने की परम्परा है। लोगों के प्लेट में खाना जोडऩे से भोजन की बर्बादी होती है। दोने-पत्तल, प्लास्टिक के गिलास-बोतल, पेपर नैपकिन इधर-उधर फैंकते हैं।
समाधान-कम मेहमान, सीमित भोजन
कई होटल-रेस्टोरेंट संचालकों ने व्यवस्थाओं के सामूहिक पैकेज लॉन्च किया है। सीमित मेहमानों से समारोह स्थल पर वाहनों और की कम भीड़, मितव्ययता और भोजन की कम बर्बादी होगी। अशोक बिंदल, अध्यक्ष अजमेर सर्राफा संघ
कई होटल-रेस्टोरेंट संचालकों ने व्यवस्थाओं के सामूहिक पैकेज लॉन्च किया है। सीमित मेहमानों से समारोह स्थल पर वाहनों और की कम भीड़, मितव्ययता और भोजन की कम बर्बादी होगी। अशोक बिंदल, अध्यक्ष अजमेर सर्राफा संघ
4-समस्या: अजमेर-स्वच्छता रैंकिंग में पीछे
अजमेर स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है। पिछले पांच साल से स्वच्छता की रेटिंग में देश के कई छोटे शहरों से पिछड़ा है। रोजाना 3.5 से 4.5 टन कचरा होता है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने तो साल 2017 में अजमेर को सर्वाधिक कचरे और गंदगी वाला शहर बताया था।
अजमेर स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है। पिछले पांच साल से स्वच्छता की रेटिंग में देश के कई छोटे शहरों से पिछड़ा है। रोजाना 3.5 से 4.5 टन कचरा होता है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने तो साल 2017 में अजमेर को सर्वाधिक कचरे और गंदगी वाला शहर बताया था।
समाधान: डस्टबिन में फैंके कचरा, तुरंत हो सफाई
हमें डस्टबिन में कचरा फैंकने को आदत बनाना होगा। विदेशी शहरों की तरह गंदगी फैलाने वाले को टोकना, जुर्माना लगाने की जरूत है। नदी-नालों, सार्वजनिक स्थानों पर कम भीड़ होगी तो हरियाली और स्वच्छता स्वत: दिखेगी।
प्रो. अरविंद पारीक, बॉटनी विभागाध्यक्ष एमडीएस यूनिवर्सिटी
हमें डस्टबिन में कचरा फैंकने को आदत बनाना होगा। विदेशी शहरों की तरह गंदगी फैलाने वाले को टोकना, जुर्माना लगाने की जरूत है। नदी-नालों, सार्वजनिक स्थानों पर कम भीड़ होगी तो हरियाली और स्वच्छता स्वत: दिखेगी।
प्रो. अरविंद पारीक, बॉटनी विभागाध्यक्ष एमडीएस यूनिवर्सिटी
5-समस्या-बाजारों में खुली रहती हैं दुकानें
केसरगंज, रामगंज, नया बाजार, पुरानी मंडी, मदार गेट, नला बाजार, दरगाह बाजार और अन्य इलाकों में दुकानें के खुलने और बंद होने का समय नहीं है। व्यवसायी मनजर्मी से दुकानें संचालित करते हैं। साप्ताहिक अवकाश की कड़ाई से पालना नहीं होती। बाजारों में अनावश्यक भीड़, वाहन चलते हैं।
केसरगंज, रामगंज, नया बाजार, पुरानी मंडी, मदार गेट, नला बाजार, दरगाह बाजार और अन्य इलाकों में दुकानें के खुलने और बंद होने का समय नहीं है। व्यवसायी मनजर्मी से दुकानें संचालित करते हैं। साप्ताहिक अवकाश की कड़ाई से पालना नहीं होती। बाजारों में अनावश्यक भीड़, वाहन चलते हैं।
समाधान-नियम बने सबके लिए
लॉकडाउन में शाम 7 से सुबह 7 बजे तक दुकानें बंद करने की पाबंदी है। यह व्यवस्था नियमित रहनी चाहिए। साप्ताहिक अवकाश की कड़ाई से पालना होगी तो बाजारों और सडक़ो पर दबाव कम होगा।
लॉकडाउन में शाम 7 से सुबह 7 बजे तक दुकानें बंद करने की पाबंदी है। यह व्यवस्था नियमित रहनी चाहिए। साप्ताहिक अवकाश की कड़ाई से पालना होगी तो बाजारों और सडक़ो पर दबाव कम होगा।
मोहनलाल शर्मा, अध्यक्ष श्री अजमेर व्यापारिक महासंघ 6-समस्या-ट्रेफिक जाम, जबरदस्त प्रदूषण अजमेर में सिटी कैब, टेम्पो, ऑटो में प्रतिदिन 10.5 से 15.5 हजार लोग आवाजाही करते हैं। इनके अलावा 2.5 से 3.5 लाख दोपहिया, तिपहिया-चौपहिया वाहन दौडऩे से ट्रेफिक जाम रहता है। मदार गेट, स्टेशन रोड, आदर्श नगर और कई स्थानों पर प्रदूषण स्तर बढ़ चुका है।
समाधान-करें वाहनों की शेयररिंग
लोग जरूरत पडऩे पर वाहन चलाने की आदत डालेंगे तो सडक़ों पर ट्रेफिक व्यवस्थित रहेगा। वाहनों की शेयरिंग और ऑड-ईवन फार्मूला, सप्ताह में एक दिन साइकिल चलाना भी अच्छा कदम हो सकता है।
लोग जरूरत पडऩे पर वाहन चलाने की आदत डालेंगे तो सडक़ों पर ट्रेफिक व्यवस्थित रहेगा। वाहनों की शेयरिंग और ऑड-ईवन फार्मूला, सप्ताह में एक दिन साइकिल चलाना भी अच्छा कदम हो सकता है।
सुनीता गुर्जर, टीआई यातायात विभाग इन बदलावों की जरूरत…..
-सडक़ों से हटाएं बेतरतीब अतिक्रमण और खुले कचरा पात्र
-खुले में प्लास्टिक की थैली, कचरा फैंकने वालों को टोकें
-घर अथवा दफ्तर से मास्क लगाकर निकलें
-दुकान, बाजार, समारोह , मॉल और सार्वजनिक स्थानों पर रखें सोशल डिस्टेंसिंग
-सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे
-सडक़ों से हटाएं बेतरतीब अतिक्रमण और खुले कचरा पात्र
-खुले में प्लास्टिक की थैली, कचरा फैंकने वालों को टोकें
-घर अथवा दफ्तर से मास्क लगाकर निकलें
-दुकान, बाजार, समारोह , मॉल और सार्वजनिक स्थानों पर रखें सोशल डिस्टेंसिंग
-सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे
एक्सपर्ट व्यू
अजमेर में पिछले चार साल से डोर टू डोर कचरा संग्रहण किए जाने से लोग जागरुक हुए हैं। लेकिन फिर भी स्वच्छता के लिए प्रयास करने की जररूत है। लॉकडाउन में कचरा घटकर 1.5 टन रह गया है। लोग डस्टबिन में ही कचरा फैंकने को अपनी आदत बनाएं। आनासागर झील और नालों-नालियों में कचरा फैंकने से बचें। ठेले वाले वेंडिंग जोन में ही खड़े हों। स्वच्छता सैनिकों का सफाई में सहयोग करें तो अजमेर को स्मार्ट बना सकता है। वायु,ध्वनि, जल प्रदूषण कम होगा तो वातावरण स्वच्छ रहेगा।
धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर नगर निगम
अजमेर में पिछले चार साल से डोर टू डोर कचरा संग्रहण किए जाने से लोग जागरुक हुए हैं। लेकिन फिर भी स्वच्छता के लिए प्रयास करने की जररूत है। लॉकडाउन में कचरा घटकर 1.5 टन रह गया है। लोग डस्टबिन में ही कचरा फैंकने को अपनी आदत बनाएं। आनासागर झील और नालों-नालियों में कचरा फैंकने से बचें। ठेले वाले वेंडिंग जोन में ही खड़े हों। स्वच्छता सैनिकों का सफाई में सहयोग करें तो अजमेर को स्मार्ट बना सकता है। वायु,ध्वनि, जल प्रदूषण कम होगा तो वातावरण स्वच्छ रहेगा।
धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर नगर निगम