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patrika Talk: बैंक ब्याज में मिले छूट, बने विशेष कोरोना राहत पैकेज

locationअजमेरPublished: Apr 10, 2020 09:15:40 am

Submitted by:

raktim tiwari

श्रमिकों के वेतन, भोजन की व्यवस्था, उद्यमों का पुन: संचालन आसान नहीं है।

patrika talk with businessman

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अजमेर.

लॉकडाउन के चलते जिले में औद्योगिक गतिविधियां बिल्कुल ठप हैं। खासतौर पर ब्यावर, किशनगढ़ और बिजयनगर जैसे औद्योगिक शहरों की फैक्ट्रियों में उत्पादन बंद हैं। जिन उद्यमियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में माल भेजा है वहां से पेमेंट नहीं मिल पाया है। कच्चा माल बंदरगाह, एयरपोर्ट और ट्रकों में रखा है। उद्यमियों का मानना है कि लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार फैसला करेगी। इसके बाद भी आर्थिक स्थिति पटरी पर लौटने में छह महीने लगेंगे। श्रमिकों के वेतन, भोजन की व्यवस्था, उद्यमों का पुन: संचालन आसान नहीं है। उद्यमियों और विभिन्न इकाइयों के प्रतिनिधियों-पदाधिकारियों ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में केंद्र और राज्य सरकार से कई रियायतें रखी हैं। ताकि व्यापार एवं उद्योग जगत को कुछ संबल मिले।
लॉकडाउन से समूचे देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई है। मार्बल उद्योग तो राजस्थान और देश की रीढ़ है। व्यापारियों ने इटली, फ्रांस, जर्मनी और भारत के विभिन्न राज्यों में माल भेजा है। इनकी ऑनलाइन या अन्य माध्यम से भुगतान की व्यवस्थाएं होनी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार सबसे पहले तो जीएसटी स्लैब कम करे ताकि भविष्य में उद्योग रफ्तार पकड़े। वित्त मंत्री को तत्काल विशेष राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए।
राजू गुप्ता, व. उपाध्यक्ष किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन
व्यापारियों से सीधे तौर पर श्रमिक, ट्रांसपोर्टर जुड़े हंैं। कैश फ्लो होगा तभी उद्यम और श्रमिकों तक भुगतान मिलेगा। सबसे पहले तो बैंक ब्याज दर कम होनी जरूरी है। सरकार चाहे तो श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई भुगतान की कुछ हिस्सेदारी वहन कर सकती है। लॉकडाउन की अवधि का राहत पैकेज बनाकर विभिन्न सेक्टर में लागू करना चाहिए।
अतुल लुहाडिय़ा, मार्बल उद्यमी

ब्यावर में मिनरल का 5 करोड़ का व्यापार प्रभावित हो चुका है। 10 हजार श्रमिकों, 25 हजार खान मजदूरों के पास काम नहीं है। व्यापारियों ने रीको, राजस्थान वित्त निगम और बैंक से लोन लिए हैं। इनकी किश्त जमा कराने और ब्याज दर में छह माह से एक साल तक रियायत मिलनी चाहिए। जीएसटी में जमा रकम का 50 प्रतिशत हिस्सा सरकार वापस रिटर्न करे उद्यमियों को प्रोत्साहन मिल सकता है।
प्रवीण जैन, मिनरल व्यापारी

उद्योगों में नकदी का जबरदस्त संकट खड़ा हो गया है। कई श्रमिक फैक्ट्रियों में है, जिनके वेतन और भोजन की व्यवस्था व्यापारियों ने की है। छह महीने तक सरकार को बिजली के फिक्सड चार्ज नहीं लेना चाहिए। श्रमिकों को देय पीएफ में सरकार 30 से 50 फीसदी तक योगदान दे सकती है। केंद्र सरकार तीन से छह महीने का राहत पैकेज, औद्योगिक प्लान तैयार करे जिससे आर्थिक गतिविधियां पटरी पर आए।
विमल कुमार जैन, अध्यक्ष बिजयनगर उद्योग विकास समिति

देश में पुष्कर गारमेंट उद्योग करीब 250 करोड़ रुपए का है। व्यापारियों के पास कच्चा माल पड़ा है। हमें कम ब्याज दर पर बैंक लोन मिले तो उद्योग को पुन: सुचारू रखने में मदद मिलेगी। यूरोप के कई देशों में पेमेंट अटका है। वहां भी लॉकडाउन है। व्यापारियों तक कैश फ्लो कैसे हो यह सरकार पर निर्भर है। सरकार के खाते में जमा जीएसटी पर लोन भी दिया जा सकता है।
मधुसूदन मालू, सचिव पुष्कर गार्मेन्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन

ब्यावर और आसपास के इलाकों में लघु और मझौले उद्योग हैं। बिजनेस पूरा ठप है। श्रमिकों को सरकार के आदेशानुसार वेतन दिया है। 14 अप्रेल के बाद सरकार लॉकडाउन पर कुछ फैसला लेगी ऐसी उम्मीद है। सबसे पहले तो जीएसटी स्लैब कम होने चाहिए। बैंक लोन किश्त और ब्याज पर एक साल तक छूट दी जानी चाहिए। उद्योगों को पुनजीर्वित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर खास पैकेज भी जरूरी हैं।
आशीष पदावत, अध्यक्ष लघु उद्योग संघ ब्यावर

मिनरल उद्योग पूरी तरह खनन से जुड़ा है। कच्चे माल की आपूर्ति बंद है। केंद्र सरकार को सुरक्षित स्थानों पर परिवहन की इजाजत देनी चाहिए। कैश फ्लो तभी होगा जबकि कुछ समय के लिए सरचार्ज और ब्याज घटे। बिजली के बिलों और फिक्सड चार्ज छह महीने तक नहीं लिए जाएं। जीएसटी स्लैब को सीमित या दीर्घ अवधि तक बदला जाना चाहिए। इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा और व्यापारियों-श्रमिकों तक नकदी पहुंचेगी।
सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित, सयंोजक माइनर मिनरल एसोसिएशन

यह दिए सरकार के लिए सुझाव
-केंद्र सरकार छह माह या एक साल तक जीएसटी स्लैब में करे कमी
-सार्वजनिक और निजी बैंक छह महीने तक ब्याज दरों में दे छूट
-श्रमिकों के वेतन-भत्तों का कुछ हिस्सा वहन करे सरकार
-कोराना संक्रमण काल की विशेष पैकेज योजना बनाकर दिए जाएं लोन
-बिजली के फिक्सड चार्ज छह महीने तक किए जाएं स्थगित
-बढ़ाया जाए आयकर छूट का दायरा
-सीमित दायरे में माल ढुलाई के मिलनी चाहिए इंटर स्टेट छूट
-ब्याज पर लगने वाली पैनल्टी होनी चाहिए चालू वित्त वर्ष में स्थगित
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