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लॉक डाउन का अवैध रूप से नशे का सामान बेचने वाले भी जमकर फायदा उठा रहे हैं। चोरी-छुपे मादक पदार्थ बेच रहे यह लोग इन दिनों ज्यादा दाम लेकर ही नशे का सामान उपलब्ध करा रहे हैं। जालियान कब्रिस्तान में मिले मालदा के रहने वाले मिस्टर नामक युवक ने बताया कि अंदरकोट में तालाब के पास ही गांजा मिल जाता है। पहले गांजे की पुडिय़ा 180 रुपए मिल रही थी, अब 200 रुपए में मिल रही है। वहीं एक युवक ने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन उसका कहना था कि नीचे बस्ती से दारू की थैली और गांजा ला रहे हैं। वहां 20 से 30 रुपए में मिलने वाली दारू की थैली 40 से 50 रुपए में मिल जाती है। पहाड़ी पर चढ़कर बस्ती तक पहुंचने में करीब डेढ़ घंटा लग जाता है।
लॉक डाउन का अवैध रूप से नशे का सामान बेचने वाले भी जमकर फायदा उठा रहे हैं। चोरी-छुपे मादक पदार्थ बेच रहे यह लोग इन दिनों ज्यादा दाम लेकर ही नशे का सामान उपलब्ध करा रहे हैं। जालियान कब्रिस्तान में मिले मालदा के रहने वाले मिस्टर नामक युवक ने बताया कि अंदरकोट में तालाब के पास ही गांजा मिल जाता है। पहले गांजे की पुडिय़ा 180 रुपए मिल रही थी, अब 200 रुपए में मिल रही है। वहीं एक युवक ने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन उसका कहना था कि नीचे बस्ती से दारू की थैली और गांजा ला रहे हैं। वहां 20 से 30 रुपए में मिलने वाली दारू की थैली 40 से 50 रुपए में मिल जाती है। पहाड़ी पर चढ़कर बस्ती तक पहुंचने में करीब डेढ़ घंटा लग जाता है।
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इधर, ये नशे को कह रहे ना
अजमेर. नशा बहुत बुरा होता है। लॉकडाउन में यह बात उन लोगों के समझ में आ रही है जो मजबूरी में ही सही लेकिन इन दिनों नशा नहीं कर रहे। कई ऐसे भी हैं जो नशे के आदी हो चुके हैं। इन दिनों न केवल यह लोग नशा छोडऩे का फायदा बता रहे हैं बल्कि इनके घरवाले भी खुश हैं। गणेशगढ़ निवासी धर्मेन्द्र (बदला हुआ नाम) ने बताया कि दारू नहीं मिलने से हालांकि मन बैचेन सा रहता है, लेकिन खुशी इस बात कि है कि घर वाले खुश हैं। वे चाहते हैं कि अब हमेशा के लिए नशा छूट जाए। मैं कोशिश करूंगा कि लॉकडाउन के बाद भी नशा नहीं करूं। शास्त्री नगर निवासी नरपत सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह काफी समय से शराब का सेवन कर रहा है। दुकानें नहीं खुलने से इन दिनों शराब नहीं मिल पा रही। नशे की आदत हो गई इसलिए शराब के इंतजाम के लिए इधर-उधर भागता भी हूं लेकिन कहीं से इंतजाम नहीं हो रहा। इससे परिवार वाले खुश है। सर्वोदय कॉलोनी निवासी धनंजय (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह 22 साल से शराब का सेवन कर रहा है। ऐसे दिन कभी देखने को नहीं मिले। मेरे परिजन तो बहुत खुश हैं, वे चाहते हैं कि शराब की दुकानें हमेशा बंद हो जाए। पत्नी तो सरकार को धन्यवाद देती है कि लॉकडाउन में शराब नहीं मिल रही, घर में शांति बनी हुई है।
इधर, ये नशे को कह रहे ना
अजमेर. नशा बहुत बुरा होता है। लॉकडाउन में यह बात उन लोगों के समझ में आ रही है जो मजबूरी में ही सही लेकिन इन दिनों नशा नहीं कर रहे। कई ऐसे भी हैं जो नशे के आदी हो चुके हैं। इन दिनों न केवल यह लोग नशा छोडऩे का फायदा बता रहे हैं बल्कि इनके घरवाले भी खुश हैं। गणेशगढ़ निवासी धर्मेन्द्र (बदला हुआ नाम) ने बताया कि दारू नहीं मिलने से हालांकि मन बैचेन सा रहता है, लेकिन खुशी इस बात कि है कि घर वाले खुश हैं। वे चाहते हैं कि अब हमेशा के लिए नशा छूट जाए। मैं कोशिश करूंगा कि लॉकडाउन के बाद भी नशा नहीं करूं। शास्त्री नगर निवासी नरपत सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह काफी समय से शराब का सेवन कर रहा है। दुकानें नहीं खुलने से इन दिनों शराब नहीं मिल पा रही। नशे की आदत हो गई इसलिए शराब के इंतजाम के लिए इधर-उधर भागता भी हूं लेकिन कहीं से इंतजाम नहीं हो रहा। इससे परिवार वाले खुश है। सर्वोदय कॉलोनी निवासी धनंजय (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह 22 साल से शराब का सेवन कर रहा है। ऐसे दिन कभी देखने को नहीं मिले। मेरे परिजन तो बहुत खुश हैं, वे चाहते हैं कि शराब की दुकानें हमेशा बंद हो जाए। पत्नी तो सरकार को धन्यवाद देती है कि लॉकडाउन में शराब नहीं मिल रही, घर में शांति बनी हुई है।