Smart city अजमेर को शर्मसार कर रहे हैं ये, हर कोई है इनसे परेशान
स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में भिखारियों की बढ़ती संख्या एवं दिनोंदिन बढ़ती गतिविधियों से हर कोई परेशान है।

अजमेर . स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में भिखारियों की बढ़ती संख्या एवं दिनोंदिन बढ़ती गतिविधियों से हर कोई परेशान है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, दरगाह के आसपास के क्षेत्रों में लपकों की तरह भिखारी राहगीरों के पीछे पड़ जाते हैं। हालात यह हैं कि पीछा कर सभ्य नागरिक से जब तक कुछ मिल नहीं जाता तब तक पीछा नहीं छोड़ते। इससे महिलाएं व राहगीर खुद शर्मिन्दा हो जाते हैं।
अमरबेल की तरह फैलती भिक्षावृत्ति स्माटसिटी अजमेर की छवि के लिहाज से उचित नहीं है। ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के चलते अजमेर में विभिन्न प्रांतों के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी वर्षभर आवाजाही रहती है। परिवार के साथ शहर के धार्मिक, पर्यटन स्थलों को देखने व दर्शन करने के दौरान सर्वाधिक परेशानी इन्हें भिखारियों से हो रही है। भिक्षावृत्ति में लिप्त महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग व बच्चे पीछा नहीं छोड़ते।
मजबूरी नहीं धंधा :
भिखारियों को वस्त्र, खाने की वस्तुएं एवं सामान देने पर झिटक देते हैं तो कुछ लेकर फेंक देते हैं। भिखारियों का मनोविज्ञान है सिर्फ पैसा बटोरना। वे सिर्फ पैसे/रुपए ही भीख में लेते हैं। भिक्षावृत्ति अब मजबूरी, सौदा नहीं बल्कि धंधा बन चुका है।
इन स्थानों पर भिखारियों का डेरा :
बजरंगगढ़, जय अम्बे माताजी मंदिर के आसपास, जेएलएन अस्पताल, दरगाह बाजार, घाटी वाले बालाजी मंदिर के पास रामप्रसाद घाट, नला बाजार, मदारगेट, गांधीभवन चौराहा, रेलवे स्टेशन के पास शहर के प्रमुख लालबत्ती वाले चौराहों (जहां गाडिय़ां कुछ समय रुकती हैं) पर भिखारियों डेरा जमा रहता है।
एनजीओ व विभाग निभाए जिम्मेदारी :
भीख मांगने वाले लोगों से भिक्षावृत्ति छुड़ाने के लिए संबंधित एनजीओ एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को काउंसलिंग के साथ कार्रवाई करनी चाहिए। इन्हें रोजगार से जोडऩे के प्रयास होने चाहिए तता संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
देशभर में भिक्षावृत्ति की स्थिति :
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में तीन लाख 72 हजार भिखारी थे। इनमें भी 21 फीसदी करीब 78 हजार भिखारी शिक्षित पाए गए। अन्य आंकड़ों के अनुसार देश में 4 लाख 13 हजार 670 भिक्षावृत्ति से जुड़े हैं। इनमें 2 लाख 20 हजार पुरुष व 1 लाख 91 हजार महिलाएं हैं। भिक्षावृत्ति में सर्वाधिक ज्यादा पश्चिम बंगाल के हैं।
कानूनी प्रावधान :
किशोर न्याय कानून 2015 में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ सख्त प्रावधान है। संशोधित कानून की धारा 76 के तहत बाल भिक्षावृत्ति के दोषी पाए गए व्यक्ति को 5 साल की कैद व एक लाख का जुर्माना है। वहीं बच्चों को अंग भंग कर भिक्षावृत्ति कराने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है।
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