शहर के स्टेशन रोड पर बने शहीदों की याद में 1963 में शहीद स्मारक का निर्माण किया गया। कुछ वर्षों पहले इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। शानदार कलाकृतियों के साथ आकर्षक फव्वारे भी लगाए गए। कुछ दिनों तक ठीक-ठाक चले, लेकिन यह काफी समय से बंद पड़े है। स्थिति यह है कि पानी का टैंक पूरी तरह से सूखा पड़ा है। स्मारक के गुम्बद पर कई पीपल के पेड़ उग गए है। जगह-जगह जाले लगे हुए है। स्मारक पर कई दिनों से झाडू नहीं लगने के कारण पक्षियों की बीट फर्श पर जम गई है। मुख्यद्वार पर वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है।
शौर्य की निशानी पर खानाबदोशों का कब्जा
शौर्य की निशानी पर खानाबदोशों का कब्जा
भारत के वीरों की गौरव गाथा का बयान करता यह पाकिस्तानी टैंक जिसे भारतीय सेना ने ध्वस्त किया था, अब इस पर खानाबदोशों का कब्जा हो गया है। खानाबदोश अपने बिस्तर टैंक के नीचे रखते हैं। इसके अंदर और आस-पास हमेशा इनका ही जमावड़ा लगा रहता है। अगस्त 2016 में इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। यहां पर लगे अधिकांश पौधे सूख चुके है। लाइटें और पत्थर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गए है। हालांकि यहां पर सेल्फी लेने वालों का क्रेज कम नहीं हुआ है, लेकिन देख-रेख के अभाव में इसकी हालत खस्ता होती जा रही है।