scriptशौर्य गाथा बताने वाले स्मारकों को भुलाया | Forgot the memorials that tell the Shaurya ballad | Patrika News

शौर्य गाथा बताने वाले स्मारकों को भुलाया

locationअजमेरPublished: Jan 22, 2020 05:32:02 pm

Submitted by:

himanshu dhawal

शहीद स्मारक पर फव्वारे पड़े बंद तो विजय स्मारक की हालत खस्ता

शौर्य गाथा बताने वाले स्मारकों को भी भूल गए लोग

शौर्य गाथा बताने वाले स्मारकों को भी भूल गए लोग

हिमांशु धवल

अजमेर. अंग्रेजों के जुल्मों को सहते हुए देश को गुलामी की दास्तां से मुक्ति दिलाने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीदों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और शहीद दिवस पर ही याद किया जाता है। स्थिति यह है कि इनकी शौर्य गाथा का गुणगान करने वाले शहीद स्मारक और विजय स्मारक की हालत खस्ता है। कहीं पर खानाबदोशों के बिस्तर रखे है तो कहीं पर फव्वारे बंद पड़े हैं। शहीद स्मारक पर तो कई दिनों से झाडू तक नहीं लगी है। ऐसे में यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि इन स्मारकों की सुध केवल 15 अगस्त, 26 जनवरी और शहीद दिवस पर ही ली जाती है।
शहीद स्मारक की स्थिति सर्वाधिक खराब
शहर के स्टेशन रोड पर बने शहीदों की याद में 1963 में शहीद स्मारक का निर्माण किया गया। कुछ वर्षों पहले इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। शानदार कलाकृतियों के साथ आकर्षक फव्वारे भी लगाए गए। कुछ दिनों तक ठीक-ठाक चले, लेकिन यह काफी समय से बंद पड़े है। स्थिति यह है कि पानी का टैंक पूरी तरह से सूखा पड़ा है। स्मारक के गुम्बद पर कई पीपल के पेड़ उग गए है। जगह-जगह जाले लगे हुए है। स्मारक पर कई दिनों से झाडू नहीं लगने के कारण पक्षियों की बीट फर्श पर जम गई है। मुख्यद्वार पर वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है।
शौर्य की निशानी पर खानाबदोशों का कब्जा
भारत के वीरों की गौरव गाथा का बयान करता यह पाकिस्तानी टैंक जिसे भारतीय सेना ने ध्वस्त किया था, अब इस पर खानाबदोशों का कब्जा हो गया है। खानाबदोश अपने बिस्तर टैंक के नीचे रखते हैं। इसके अंदर और आस-पास हमेशा इनका ही जमावड़ा लगा रहता है। अगस्त 2016 में इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। यहां पर लगे अधिकांश पौधे सूख चुके है। लाइटें और पत्थर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गए है। हालांकि यहां पर सेल्फी लेने वालों का क्रेज कम नहीं हुआ है, लेकिन देख-रेख के अभाव में इसकी हालत खस्ता होती जा रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो