जेएलएन मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज गुप्ता ने तम्बाकू के दुष्प्रभाव तथा इसे कार्यस्थल पर प्रतिबंधित करने की वकालत पर अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित पत्र को 62 देशों की 5228 प्रविष्ठियों में प्रथम स्थान मिला है। इसके लिए उन्हें इन्टनेशनल एजेन्सी फॉर स्टैडंर्ड एण्ड रेसिंग की ओर से फैलोशिप प्रदान की गई है।
धूम्रपान का धुआं जितना धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है, उतना ही पास बैठे व्यक्ति जो कि धूम्रपान नहीं करता है को भी शरीर में नुकसान पहुंचाता है। कैंसर जनित द्रव्य की मात्रा दुगुनी हो जाती है, यह बच्चों में बार-बार न्यूमोनिया रोग पैदा करता है। स्त्रियों में प्रजनन क्षमता कम करता है। तम्बाकू का परिवार पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है। तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट की कीमत के अलावा इससे शरीर में उत्पन्न रोगों का इलाज व परिवार के दूसरे सदस्य जो धुआं को सांस के साथ अंदर लेते हैं, दुष्प्रभाव से पीडि़त होते हैं।
धूम्रपान के यह प्रमुख कारण – दूसरों की नकल करना – समाज में अपने व्यक्तित्व का दिखावा
– मर्दांनगी के रूप में – कार्यस्थल पर तनाव
– आमजीवन व पारिवारिक तनाव निकोटिन के दुष्प्रभाव
– मर्दांनगी के रूप में – कार्यस्थल पर तनाव
– आमजीवन व पारिवारिक तनाव निकोटिन के दुष्प्रभाव
– डायबिटीज
– कैंसर (मुख, फेफड़ा, आंत, प्रोस्टेट) – एसिडिटी व पेट में अल्सर
– फेफड़े में श्वास रोग – सिर दर्द, डिप्रेशन
– हृदय रोग – प्रजनन क्षमता में कमी निरंतर निर्भरता बढ़ाता है निकोटिन
– कैंसर (मुख, फेफड़ा, आंत, प्रोस्टेट) – एसिडिटी व पेट में अल्सर
– फेफड़े में श्वास रोग – सिर दर्द, डिप्रेशन
– हृदय रोग – प्रजनन क्षमता में कमी निरंतर निर्भरता बढ़ाता है निकोटिन
तम्बाकू में निकोटिन एक ऐसा द्रव्य है जो कि तम्बाकू पर निरंतर निर्भरता बढ़ाता है। गुटखा, तम्बाकू चबाने पर इसका शरीर में अवशोषण तीन से चार गुणा ज्यादा होता है। इससे मुंह में कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। तम्बाकू विश्वभर में कई तरह से उपयोग में लिया जाता है। इससे मुख्य तौर पर धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का आदि), तम्बाकू युक्त गुटखा का सेवन।
धूम्रपान मुक्त कार्यस्थल की वकालत डॉ. गुप्ता ने धूम्रपान मुक्त कार्यस्थल की वकालत की। कार्यालय, सार्वजनिक स्थल व कार्यस्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध धूम्रपान करने वाले व नहीं करने वाले व्यक्तियों को इसके दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है। इससे परिवार पर पडऩे वाले वित्तीय भार को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही वायु प्रदूषण भी कम करता है।