1996-97 में अजमेर मेंबॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापान हुई थी। तत्कालीन प्राचार्य डॉ. श्रीगोपाल मोदानी के कार्यकाल में वर्ष 2007 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बहुउद्दशीय पी. जी. इंस्टीट्यूट खोलने की मंजूरी दी। ताकि यहां विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएं, विस्तृत शोध और योजनाएं बनाई जा सकें। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका शिलान्यास किया। राजे का वर्ष 2013 से 2018 तक दूसरा कार्यकाल भी पूरा हो गया। पर इंस्टीट्यूट तैयार नहीं हो पाया।
खो गई इंस्टीट्यूट की योजना कॉलेज और तकनीकी शिक्षा विभाग पर कोई बोझ नहीं बढ़े इसके लिए नामचीन औद्योगिक घराने से 5 करोड़ रुपए आर्थिक सहयोग लेना सुनिश्चित हुआ। कॉलेज प्रशासन और घराने के बीच बातचीत भी हो गई। लेकिन 12 साल में इंस्टीट्यूट नहीं बन सका। इस दौरान कॉलेज में डॉ. सुधीर चौधरी, प्रो. एम. सी. गोविल, डॉ. एम.एम. शर्मा, डॉ. जे. पी. भामू, प्रो. रंजन माहेश्वरी प्राचार्य रहे पर किसी ने पी. जी. इंस्टीट्यूट योजना की सुध नहीं ली। निर्माण में तकनीकी बाधाएं, सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग से बातचीत नहीं की गई।
वरना मिलती पहचान…
कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, कम्प्यूटर, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य ब्रांच संचालित हैं। यहां पी.जी. इंस्टीट्यूट बनने पर कई ब्रांच में नए कोर्स और शोध प्रारंभ हो सकते थे। इससे विद्यार्थियों सहित राजस्थान और देश को फायदा मिलता। देश की विभिन्न आईआईटी, एनआईटी और अन्य उच्च संस्थानों से संपर्क होता। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी की कौशल विकास योजना, डिजिटल इंडिया योजना को अमली-जामा पहनाया जाना संभव होता।
कॉलेज में मैकेनिकल, सिविल, कम्प्यूटर, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य ब्रांच संचालित हैं। यहां पी.जी. इंस्टीट्यूट बनने पर कई ब्रांच में नए कोर्स और शोध प्रारंभ हो सकते थे। इससे विद्यार्थियों सहित राजस्थान और देश को फायदा मिलता। देश की विभिन्न आईआईटी, एनआईटी और अन्य उच्च संस्थानों से संपर्क होता। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी की कौशल विकास योजना, डिजिटल इंडिया योजना को अमली-जामा पहनाया जाना संभव होता।
बोर्ड भी हुआ गायब कॉलेज ने कुछ साल तक शिलान्यास स्थल पर पी. जी. इंस्टीट्यूट का बोड लगाए रखा था। अब तो बोर्ड भी नदारद हो चुका है। अलबत्ता वहां गड्ढा अब तक मौजूद है। कॉलेज प्रशासन ने इस दौरान कई नए भवन बनवाए पर इंस्टीट्यूट की सुध नहीं ली है।