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अजमेर

दो कदम नहीं थी चलने की जान ! उधर, संवेदनाएं हुई कुछ यूं बेजान

पैरों से नि:शक्त, चिलचिलाती धूप और गर्मी से तमतमाती डामर की सड़क पर घिसटते-रेंगते हुए आगे बढऩे का जतन भी उनकी उम्मीद को पूरा नहीं कर सका।

अजमेरMar 26, 2018 / 01:37 pm

सोनम

physically handicap people facing problem in govt hospital

अजमेर . पैरों से नि:शक्त, दो डग भरने की भी जान नहीं, पूरे शरीर का भार टेड़े-मुड़े पैर एवं हाथों पर। चिलचिलाती धूप और गर्मी से तमतमाती डामर की सड़क पर घिसटते-रेंगते हुए आगे बढऩे का जतन भी उनकी उम्मीद को पूरा नहीं कर सका। हर बार उम्मीद रहती है उन्हें ट्राइसाइकिल मिलेगी, हाथों के सहारे पहिए आगे बढ़ा कर अपनी मंजिल हासिल कर लेंगे लेकिन निराशा एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ही उनके साथ ‘न्याय नहीं कर पाया।
जिले के दूर-दराज के गांवों के नि:शक्तजन को सरकार का सहारा नहीं मिला। नि:शक्त एवं विशेष योग्यजन के लिए सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए जाने वाले उपकरण के लिए विशेष योग्यजन को अधिकारियों के सामने गिडगड़़ाना पड़ा। पैरों से अपंग मगर हाथों को जोड़े हर किसी से मिन्नत करने के बावजूद किसी का मन नहीं पसीजा। कहने को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने विशेष योग्यजन के लिए तीन दिवसीय शिविर लगाकर उपकरण वितरण की वाहवाही लूटी। यह सब भी है, कइयों के चेहरे खिले भी मगर पैरों से अपंगता एवं दो डग भी नहीं भरने वाले विशेष योग्यजन मायूस चेहरे के साथ बैरंग घर लौटे।

केस : 1 अरांई पंचायत समिति के गांव गोली निवासी रामलाल ट्राइसाइकिल लेने शिविर में पहुंचा था। लेकिन अधिकारियों ने उसे व्हील चेयर देने की पेशकश की तो उसने इन्कार कर दिया। उसने बताया कि बस में बैठकर गांव से आया, फिर लोगों की मदद से टैम्पो में बैठा। सड़क पर वह चल नहीं सकता, अगर ट्राइसाइकिल होती तो वह भी यहां घूम सकता है गांव में अपना काम खुद कर सकता है। अधिकारियों ने रामलाल को बताया कि ट्राइसाइकिल सब दी जा चुकी है।
केस – 2
अरांई पंचायत समिति के गांव सिनोद से रामलाल शिविर में ट्राइसाइकिल लेने पहुंचे मगर उन्हें बताया कि ट्राइसाइकिलें उपलब्ध नहीं है। सब बांटी जा चुकी है, जबकि 30 से अधिक ट्राई साइकिलें रखी हैं। रामलाल ने बताया कि 1500 रुपए किराये से वैन में बैठकर वह आया, वैन से अकेले उतरने-बैठने में अक्षम, पेशाब की नली व थैली होने से हालत बेहद गंभीर इसके बावजूद विशेष योग्यजन पर अधिकारियों का कलेजा नहीं पसीजा।

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