हो सर्दी या गर्मी , पसीना-पसीना… दो जून रोटी के लिए मेहनतकश को रोज कुआं खोद कर पानी पीना पड़ता है चाहे सर्दी हो गर्मी या बरसात हर मौसम में उसे मजदूरी के लिए पसीना बहाना ही होता है
हो सर्दी या गर्मी , पसीना-पसीना… दो जून रोटी के लिए मेहनतकश को रोज कुआं खोद कर पानी पीना पड़ता है चाहे सर्दी हो गर्मी या बरसात हर मौसम में उसे मजदूरी के लिए पसीना बहाना ही होता है