अजमेर. भीषण गर्मी अभी शुरू भी नहीं हुई कि पानी के लिए जान जोखिम में डाल कर हलक तर करने की नौबत आ गई है। अजमेर जिले में पानी की भीषण किल्लत एवं हालात यह हैं कि पाइप लाइन की बूंद-बूंद को सहेजकर ग्रामीण परिवार के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। बीसलपुर बांध में लगातार जल स्तर गिरने एवं पानी का दायरा सिमटने के साथ ही अजमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बदतर होती जा रही है।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते टैंकरों से आपूर्ति भी फिलहाल सुचारू नहीं हो पाई है। इसके चलते बीसलपुर पाइप लाइन से रिसने वाली पानी की बूंदों एवं कहीं लीकेज से पूरा का पूरा गांव प्यास बुझाने को विवश है। बीसलपुर से लेकर अजमेर तक कई ऐसे प्रभावित गांव हैं। मगर अजमेर से नसीराबाद के बीच हाइवे पर स्थित जटिया गांव के बाहर से गुजर रही बीसलपुर परियोजना की पेयजल लाइन के करीब 10 से 15 फीट गहरी पक्की खाई/टैंकनुमा गड्ढे में उतरकर बालिकाओं को बूंद-बूंद पानी से घड़े/मटके भरकर ऊपर तक पहुंचाया जा रहा है।
भीषण गर्मी में एक ओर जहां विद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं, वहीं किशोर-किशोरियां व युवतियां जान जोखिम में डालकर बांस की चाली पर पैर रख कर टैंकनुमा गड्ढे में उतर रही हैं। इस टैंकनुमा गड्ढे में पाइप लाइन में खड़े रहकर पानी भरना पड़ता है। हालात यह है कि एक घड़ा भरने में करीब 20 मिनट लगते हैं। कभी कभी प्रेशर होने पर पाइप या नली लाकर पानी भरते हैं।
भीषण गर्मी में एक ओर जहां विद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं, वहीं किशोर-किशोरियां व युवतियां जान जोखिम में डालकर बांस की चाली पर पैर रख कर टैंकनुमा गड्ढे में उतर रही हैं। इस टैंकनुमा गड्ढे में पाइप लाइन में खड़े रहकर पानी भरना पड़ता है। हालात यह है कि एक घड़ा भरने में करीब 20 मिनट लगते हैं। कभी कभी प्रेशर होने पर पाइप या नली लाकर पानी भरते हैं।
भीषण गर्मी में एक ओर जहां विद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं, वहीं किशोर-किशोरियां व युवतियां जान जोखिम में डालकर बांस की चाली पर पैर रख कर टैंकनुमा गड्ढे में उतर रही हैं। इस टैंकनुमा गड्ढे में पाइप लाइन में खड़े रहकर पानी भरना पड़ता है। हालात यह है कि एक घड़ा भरने में करीब 20 मिनट लगते हैं। कभी कभी प्रेशर होने पर पाइप या नली लाकर पानी भरते हैं।