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प्लांट तैयार : अब ऑक्सीजन खपाने के लिए विकल्प की तलाश !

locationअजमेरPublished: Nov 12, 2021 02:15:53 am

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कोविड के चलते तैयार हुए हैं ऑक्सीजन प्लांट, खपत कम, उत्पादित ऑक्सीजन दे सकती है कमाई, जिले में प्लांट, उत्पादन क्षमता, उत्पादन के बाद खपत की स्थिति

प्लांट तैयार : अब ऑक्सीजन खपाने के लिए विकल्प की तलाश !

प्लांट तैयार : अब ऑक्सीजन खपाने के लिए विकल्प की तलाश !

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए जिलेभर में कई ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण किया गया है। ऑक्सीजन प्लांट तैयार भी हो गए हैं। ऑक्सीजन का उत्पादन भी शुरू हो गया है। इनमें कई ऐसे अस्पताल हैं जहां ऑक्सीजन प्लांट तो तैयार हैं और उत्पादन भी शुरू हो गया है लेकिन ऑक्सीजन की जरूरत नहीं हैं। ऐसे में अब ऑक्सीजन खपाने के विकल्प की तलाश भी शुरू करने की जरूरत है। ताकि प्लांट के मैंटिनेंस सहित व्यवस्थाएं सुचारू हो सके।
अजमेर शहर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, जनाना अस्पताल, सैटेलाइट सहित जिलेभर में ऑक्सीजन प्लांट की स्वीकृति केन्द्र, राज्य सरकार सहित अन्य एजेन्सियों के माध्यम से हुई है। वर्तमान में ऑक्सीजन प्लांट की उपयोगिता जेएलएन अस्पताल में सर्वाधिक है। यहां उत्पादित ऑक्सीजन गैस का उपयोग जेएलएन अस्पताल में हो रहा है। लेकिन अन्य अस्पतालों में फिलहाल उत्पादित ऑक्सीजन का उपयोग नहीं हो रहा है। जबकि जिले में 1300 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध है।
यहां आईसीयू, प्रतिदिन पड़ती है जरूरत

जेएलएन अस्पताल के आईसीयू, कैज्युल्टी, कार्डियोलॉजी, ईएमयू, टीबी वार्ड, आईसीयू, चिल्ड्रन वार्ड का आईसीयू, एनआईसीयू, वहीं जनाना अस्पताल में ऑक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत पड़ती है। यहां 1800 से 2000 सिलैण्डर की पूर्व में खपत रही है।
यह है ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति

33 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट

10 प्लांट मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में (जेएलएनएच, जनाना, सैटेलाइट)
7 प्लांट जिला स्तर के अस्पताल (केकड़ी, ब्यावर, किशनगढ़)

01 सब डिविजन पर
02 सैटेलाइट अस्पताल
13 सीएचसी पर
01 रेलवे हॉस्पिटल

यहां ऑक्सीजन उत्पादन

जेएलएन अस्पताल, जनाना अस्पताल, सैटेलाइट अस्पताल, चन्द्रवरदाई एवं पंचशील सीएचसी, जिला अस्पताल एके ब्यावर, किशनगढ़ का यज्ञनारायण अस्पताल, केकड़ी जिला अस्पताल में प्लांट से ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो गया है।
यहां आईपीडी कम

जिले के कुछ सीएचसी ऐसे हैं जहां आईपीडी बहुत कम है। भर्ती होने मरीजों की संख्या बहुत कम है। इनमें श्रीनगर, मसूदा, भिनाय, जवाजा, अरांई, सावर आदि सीएचसी हैं।

प्राइवेट सेक्टर का विकल्प
कोविड नहीं होने की स्थिति में चिकित्सा संस्थानों के प्राइवेट सेक्टर का विकल्प भी खुला है। वहीं बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सकती है। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में भी जरूरत पडऩे पर यहां से सप्लाई की जा सकती है। हालांकि अभी तक इसके लिए प्रशासन व सरकार की ओर से कोई मापदंड तय नहीं किए गए हैं।
इनका कहना है

प्लांट लगने से पूर्व में ऑक्सीजन सिलैण्डर लगाना पड़ता था उसकी जगह इन्टरनल पाइप फिटिंग के माध्यम से बेड तक नोजल लगाकर मरीज को ऑक्सीजन की सुविधा मिलना शुरू हो गई है। जेएलएन अस्पताल, केकड़ी, ब्यावर, किशनगढ़ के जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। अभी कोविड की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है।
डॉ. के.के. सोनी, सीएमएचओ अजमेर

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