हालांकि अभी कागजों में तो अदालतें तो खोल दी गई हैं, लेकिन काम मौजूदा व्यवस्था अनुसार ही चलेगा। अजमेर में इन नवसृिजत पोक्सो अदालतों का कामकाज पहले से ही एससीएसटी कोर्ट की विशेष न्यायाधीश बृज माधुरी शर्मा देख रही हैं। जब तक नए न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होती इन नवसृजित दो पोक्सो अदालतों का प्रभार भी न्यायाधीश शर्मा को ही सौंपा गया है।
पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर का कहना है कि सरकार ने कागजों में अदालतें खोल दी हैं। नवसृजित अदालतों के लिए न्यायिक अधिकारी व स्टाफ की नियुक्ति के बाद ही इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे। मौजूदा समय में प्रदेश के सभी जिलों में पोक्सो अदालतों का ऐलान हाईकोर्ट ने कर दिया है, लेकिन सभी
नवसृजित अदालतों का अतिरिक्त कार्यभार मौजूदा एससीएसटी मामलात अदालतों के न्यायाधीशों को सौंपा गया है। यानी स्थिति वही है। अजमेर में पोक्सो मामलों की अदालत का कार्यभार एससीएसटी न्यायालय की न्यायाधीश बृज माधुरी शर्मा के पास है।
पाराशर का कहना है कि जब तक नया इंफ्र ास्ट्रक्चर, स्टाफ व न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होगी तब तक पोक्सो में त्वरित न्याय नहीं होगा। प्रावधानों के अनुसार 60 से 90 दिन में प्रकरण का निस्तारण होना चाहिए लेकिन तामीली, पीठासीन अधिकारी के अवकाश, स्टाफ के अवकाश आदि पर रहने सहित विभिन्न कारणों के चलते प्रकरण का निस्तारण तय अवधि में नहीं हो पाता। जब तक पृथक से स्टाफ व न्यायिक अधिकारी केवल पोक्सो अदालत के लिए नहीं पदस्थापित किए जाएंगे तब तक अदालतें खोले जाने की सार्थकता प्रभावी ढंग से नजर नहीं आ सकेगी।
साहब हमें भी बनना है एमएलए, आप हुक्म तो दीजिए एक बार… प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब तीन माह का समय रह गया है। जिले की आठ विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी दल कांग्रेस में दावेदारोंं की लंबी फेहरिस्त नजर आ रही है। मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के नेता तो व्यवस्थाओं व पार्टी की घोषणाओं अनुरूप कामकाज कर उन्हें भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे वहीं विपक्षी कांग्र्रेसी दावेदार सरकार की कमियां बताते हुए आमजन को योजनाओं का लाभ नहीं मिलने जैसे मुद्दों को छेड़ रहे हैं। यूं तो दावेदारों ने कुछ माह पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है।