चिकित्सालय प्रशासन ने पुलिस चौकी के लिए चिकित्सालय में भवन उपलब्ध करवा दिए जाने के बाद कुछ दिनो तक तो पुलिस चौकी के लिए स्वीकृत नफरी में से कुछ पुलिसकर्मी आकर अपनी ड्यूटी को अंजाम देते थे लेकिन धीरे-धीरे इस पुलिस चौकी पर पुलिसकर्मियों की संख्या घटते-घटते नगण्य हो गई। देखभाल के अभाव में पुलिस चौकी के भवन की हालत जीर्ण-क्षीर्ण हो चुकी है।
मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी इसमें खटक रहा है। बताया जाता है कि इन दिनो भी पुलिस चौकी में कोई भी पुलिसकर्मी ड्यूटी नहीं दे रहा है और चौकी का दरवाजा खुला पड़ा रहने से असामाजिक तत्व इसमे घुस जाते हैं और भवन को क्षति पहुंचाते हैं। पुलिस चौकी की इस दयनीय हालत के प्रति चिकित्सालय प्रशासन भी बेखबर है।
पुलिस चौकी में पुलिसकर्मी नहीं आने की शिकायत आजतक चिकित्सालय प्रशासन ने जिला पुलिस अधीक्षक तक को नहीं की है जो चिकित्सालय प्रशासन की कार्यकुशलता पर प्रश्रचिन्ह लगाता है। हाल में सिटी थाने के दीवान सतपाल अचानक चिकित्सालय स्थित पुलिस चौकी पहुंचे और उन्होंने भवन की दयनीय हालत का निरीक्षण किया। जहाँ दीवान ने बताया कि इस जर्जर अवस्था में पहुंच चुके भवन में पुलिसकर्मियों द्वारा कार्य करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि इस भवन के मरम्मतीकरण के लिए उन्होंने चिकित्सालय प्रशासन को सूचित कर दिया है। जैसे ही इसका जीर्णाेद्धार हो जाएगा पुलिस चौकी यथावत कार्य करना शुरू कर देगी।
पुलिस चौकी यानि दुर्दशा
राज्य में ज्यादातर शहरों में पुलिस चौकियों के हाल खराब हैं। ज्यादातर चौकियां जर्जर और क्षतिग्रस्त हैं। पुलिस थानों में तो व्यवस्थाएं फिर भी ठीक हैं, लेकिन चौकियों में स्टाफ के लिए ज्यादातर सुविधाएं नहीं हैं।
राज्य में ज्यादातर शहरों में पुलिस चौकियों के हाल खराब हैं। ज्यादातर चौकियां जर्जर और क्षतिग्रस्त हैं। पुलिस थानों में तो व्यवस्थाएं फिर भी ठीक हैं, लेकिन चौकियों में स्टाफ के लिए ज्यादातर सुविधाएं नहीं हैं।