अजमेर

खुली सरकार के दावों की पोल, दसवीं की सप्लीमेंट्री परीक्षा में आधे से ज्यादा विद्यार्थी फेल

बारहवीं, दसवीं, वरिष्ठ उपाध्याय, प्रवेशिका परीक्षा सहित माध्यमिक व्यवसायिक परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। इसमें यह स्थिति सामने आई है।

अजमेरSep 19, 2017 / 08:20 am

raktim tiwari

 
कोर्स में बदलाव और खुद को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर बताने वाली राज्य सरकार के शैक्षिक विकास के दावों की पोल खुल गई है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की दसवीं पूरक परीक्षा में आधे से भी अधिक विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हो गए हैं। शिक्षा बोर्ड ने बारहवीं, दसवीं, वरिष्ठ उपाध्याय, प्रवेशिका परीक्षा सहित माध्यमिक व्यवसायिक परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। इसमें यह स्थिति सामने आई है।
दसवीं की पूरक परीक्षा का परिणाम महज ४४.५४ प्रतिशत रहा। इसमें छात्राओं का नतीजा ४६.७० प्रतिशत जबकि छात्रों का परिणाम ४२.१८ प्रतिशत रहा। इस परीक्षा में कुल मिलाकर ५० हजार १६ परीक्षार्थी बैठे थे। इनमें से २२ हजार २७७ परीक्षार्थी उत्तीर्ण घोषित हुए हैं।
बारहवीं का नतीजा ७३.६२ प्रतिशत रहा। इसमें भी छात्राओं का परिणाम ७७.५३ प्रतिशत रहा जबकि छात्रों का परिणाम ७१.३४ प्रतिशत रहा। इस परीक्षा में कुल २८ हजार ९७४ विद्यार्थी बैठे। इनमें से २१ हजार ३३२ उत्तीर्ण हुए।
पहले मेरिट को लेकर हुआ था विवाद

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की २०१५ में दसवीं की मेरिट को लेकर जरबदस्त विवाद हुआ था। एक ही स्कूल के दस विद्यार्थियों के मेरिट सूची में होने पर जबरदस्त बवाल मच गया। बोर्ड का नतीजा घोषित करने वाले शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने तत्काल मेरिट सूची पर रोक लगाई। बाद में इसकी जांच एसओजी को सौंपी गई। जांच में कोई खास नतीजा नहीं निकल पाया।
बंद करनी पड़ी मेरिट लिस्ट

बोर्ड को जांच में कोई ठोस नतीजा तो नहीं बल्कि सबक जरूर मिल गया। उसने सीबीएसई की तरह २०१७ में बारहवीं और दसवीं कक्षा की मेरिट लिस्ट घोषित नहीं की। इससे ५६ साल में पहली बार नतीजे बेहतर ढंग से जारी हुए। इसके बजाय दोनों कक्षाओं के तीन-तीन टॉपर घोषित करने का फैसला जरूर किया है। हालांकि यह टॉपर भी अब तक घोषित नहीं किए जा सके हैं।
सरकार का जोर कोर्स बदलाव में

राज्य की भाजपा सरकार का पिछले तीन साल से कोर्स बदलने पर ज्यादा जोर रहा है। कांग्रेस राज में एनसीईआरटी की तर्ज पर किताबें और कोर्स लागू हुए थे। भाजपा सरकार ने इनमें पढ़ाए जाने वाले कई विषयों को पाठ्य पुस्तकों से हटा दिया है। सरकार का दावा है, कि तीन साल में राज्य में शैक्षिक विकास हुआ है। स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद भरने, शिक्षकों की पदोन्नति जैसे कामकाज किए गए हैं। लेकिन दसवीं के पूरक परिणाम को देखते हुए सरकार के दावों की पोल खुल गई है।
 
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