ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के स्थान पर डे केयर की तर्ज पर ऑब्जर्वेशन में रखते हुए आवश्यक दवाइयां व इंजेक्शन लगाकर घर भेजा जा सकता है। इससे मरीज व उसके परिजनों को मानसिक तनाव से मुक्ति मिल सकेगी तथा मरीज भी घरेलू सकारात्मक वातावरण में रहते हुए शीघ्र स्वस्थ हो सकेंगे।
होम आईसोलेशन उन्होंने बताया कि राजकीय व निजी अस्पतालों में संसाधनों के अधिकतम विवेकपूर्ण उपयोग ,मरीजों एवं उनके परिजनों के मानसिक तनाव को दृष्टिगत रखते हुए सवाई मानसिंह चिकिसालय जयपुर की कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल टीम की राय के अनुसार ऐसे ऐसेम्प्टोमैटिक मरीज जिनका सीटी सर्वे स्कोर 15.25 से कम है और उनकी स्थिति स्थिर है या एमआईएल्डी सिम्प्टोमैटिक कोविड 19 मरीज जिन्हें अन्य कोई गंभीर बीमारी के कारण खतरा न हो। उम्र 65 वर्ष से कम हो तथा डाइबिटीज, हायपरटेंशन,किडनी की बीमारियों सहित अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर होम आईशोलेशन में रखते हुए चिकिसालय में ओपीडी या डे केयर उपचार किया जाए।
डे केयर में रखें उन्होंने बताया कि होम आईशोलेशन में रखे मरीज के लिए यहां ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि ऐसे मरीज व उसके परिजन,मरीजों की देखभाल करने व उसकी स्थिति के विभिन्न वाइटल पैरामीटर्स जैसे पल्सरेट ,तापमान,ऑक्सीजन सेचुरेशन को मॉनिटर करने में समर्थ हो। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीज जिनका डे केयर सेंटर में इलाज किया जाएगा उन्हें यह शुनिश्चित करना होगा कि मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर न हो व उसकी स्थिति सामान्य हो ,मरीज को कोई मेजर रिस्क न हो,मरीज या उसके परिजन देखरेख करने में समर्थ हों एवं डे केयर में इलाज करने की सहमति लें। उन्होंने बताया कि होम आईशोलेशन के दौरान मरीज को किसी भी प्रकार की असुविधा या नए लक्षण प्रकट होने पर जैसे स्वांस लेने में कठिनाई, बुखार,छाती में दर्द आदि ही तो उसे तत्काल चिकिसालय में भर्ती किया जाए। होम आईशोलेशन में रह रहे मरीज के विपरीत लक्षण पाए जाने पर उसे तुरंत चिकिसालय में भर्ती किया जाए ।