उप निरीक्षक महेन्द्र सिंह ने बताया कि सेंट्रल जेल
अजमेर में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नागौर सुरपालिया डेह निवासी हनुमान (36) पुत्र भंवरलाल की बुधवार रात तबीयत बिगड़ गई। उसे जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती करवाया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। जेलर कैलाश शर्मा ने सिविल लाइंस थाना पुलिस व सेशन जज को सूचना दी। सूचना पर न्यायिक अधिकारी अंकुर गुप्ता व मृतक हनुमान के परिजन भी अस्पताल पहुंचे। न्यायिक अधिकारी गुप्ता के आदेश पर पुलिस ने शव को मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया।
मानसिक बीमार था भंवरलाल ने बताया कि हनुमान मानसिक रूप से बीमार था। उसने 2008 में आवेश में पत्नी की हत्या कर दी थी। ससुराल पक्ष ने उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया। वह 22 सितम्बर 2008 से न्यायिक अभिरक्षा में है जबकि 18 जून 2010 को एडीजे नागौर ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आजीवन कारावास की सजा लगने के बाद उसे 26 जून 2010 को
अजमेर सेंट्रल जेल भेज दिया।
पिता ने की शिनाख्त कैंसर की बीमारी से ग्रस्त हनुमान की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उसका शरीर काफी कमजोर हो चुका था। अस्पताल की मोर्चरी में पहुंचे रिश्तेदार शव देखकर भी उसकी शिनाख्त नहीं कर सके। आखिर हनुमान की शिनाख्त बूढ़े पिता भंवर लाल ने की। उन्होंने बताया कि पत्नी की हत्या के बाद हनुमान की दोनों बेटियां अपने ननिहाल जौचना नागौर में है।