हाल ही जोधपुर जेल में काले हरिण सुनवाई प्रकरण के दौरान बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को वहीं बंद कुख्यात कैदी लॉरेन्स विश्रोई ने जान से मारने की धमकी दी थी। अजमेर,
जयपुर , जोधपुर और प्रदेश की अन्य जेलों में मोबाइल सिम का मिलना, जेल प्रशासन की मिलीभगत से कैदियों को सुविधाएं मिलना आम बात रही है। विभिन्न सरकारी और संवैधानिक संस्थाओं ने कई बार राज्य की जेलों का निरीक्षण भी किया है।
उन्होंने जेल सुरक्षा के संबंध में खामियां दूर करने की सिफारिश की भी की है। फिर भी राज्य की जेलें अब तक असुरक्षित बनी हुई हैं। जेलों में कई कैदियों का जीवन खतरे में है। कैदियों में आपसी मारपीट की घटनाएं तो बेहद आम हो चुकी हैं। जेलों से बाहर न्यायिक पेशी से आते-जाते समय कैदियों के बीच पुरानी रंजिश अथवा जेल में वर्चस्व की जंग लेकर कई घटनाएं पेश आई हैं।
गैंगस्टर आनंदपाल सिंह भी पेशी के दौरान ही सुनियोजित ढंग से फरार हुआ था। बाद में वह कानून व्यववस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया। वास्तव में राज्य की जेल व्यवस्था में सुधार कर उसे मजबूत और सुरक्षित बनाने की जरूरत है। जेल में कैदियों को जीवन में अनुशासन और गलतियों पर पछतावा कर पुन: अच्छा नागरिक बनने के लिए ही भेजा जाता है। ताकि कैदी वहां से निकलकर सम्मानजनक जीवन जिए।
लेकिन जेलों में पिछले कुछ बरसों में जिस तरह की घटनाएं उजागर हुई हैं, वह किसी भी प्रदेश की सुरक्षाके लिए बड़ी चुनौती है। जेलों में कैदियों में मारपीट, परस्पर हमले, जेलर और प्रहरियों पर जानलेवा हमले जैसे मामले समाज, प्रदेश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।