ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग शुक्रवार को एडीए आयुक्त एवं रेमडेसिविर एवं ऑक्सीजन प्रभारी अक्षय गोदारा तथा जेएलएन अस्पताल की सीनियर प्रोफेसर डॉ. वीना माथुर ने आर.एस. अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने 36 मरीजों को भर्ती होना बताया। जबकि अस्पताल में 20 मरीज ही मौक पर भर्ती मिले। इनमें से भी केवल 18 ही सपोर्ट पर थे। जबकि अस्पताल प्रशासन द्वारा 75 बड़े व 15 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर जिला प्रशासन से मांगे जा रहे थे। अस्पताल द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर ऑक्सीजन की मांग की जाकर प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा था।
36 मरीज लायक तो जगह ही नहीं
निरीक्षण के दौरान 36 मरीजों के भर्ती करने लायक तो गाइड लाइन के अनसार आरएस अस्पताल में जगह ही नहीं है। कोविड वार्ड काफी छोटे हैं। मरीजों के बेड पास-पास लगे हैं। अटेंडेंट के साथ वार्ड में काफी भीड़भाड़ भी मिली। इससे अटेंडेंट के कारोना संक्रमित होने की भी आशंका बनी हुई है।
निरीक्षण के दौरान 36 मरीजों के भर्ती करने लायक तो गाइड लाइन के अनसार आरएस अस्पताल में जगह ही नहीं है। कोविड वार्ड काफी छोटे हैं। मरीजों के बेड पास-पास लगे हैं। अटेंडेंट के साथ वार्ड में काफी भीड़भाड़ भी मिली। इससे अटेंडेंट के कारोना संक्रमित होने की भी आशंका बनी हुई है।
बड़ाया अस्पताल पर लग चुकी है रोक
ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाकर मांगने तथा गाइड लाइन के अनुसार उपयोग नहीं करने पर जिला प्रशासन ने हाल ही गेगल के जीडी बड़ाया अस्पताल पर कोविड मरीजों के इलाज पर रोक भी लगा दी है। अन्य अस्पतालों की जांच भी की जा रही है।
ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाकर मांगने तथा गाइड लाइन के अनुसार उपयोग नहीं करने पर जिला प्रशासन ने हाल ही गेगल के जीडी बड़ाया अस्पताल पर कोविड मरीजों के इलाज पर रोक भी लगा दी है। अन्य अस्पतालों की जांच भी की जा रही है।
निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन खपत की हो रही ऑडिट गाइड लाइन के अनुसार अस्पतालों में एक से डेढ़ सिलेंडर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन उपयोग हो रहा है। जिला प्रशास ने एडीए आयुक्त अक्षय गोदारा को निजी कोविड इमप्लांटेड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए नियुक्त किया है। आयुक्त हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खपत की ऑडिट करवा रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन की खपत में बचत हो सके। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर ही निजी कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई की मात्रा तय की जा रही है।
सड़क पर भी संक्रमण का खतरा प्रगतिनगर रोड स्थित आर.एस. हॉस्पिटल के आसपास भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। सड़क किनारे हॉस्पिटल होने व पार्र्किंग की व्यवस्था नहीं होने से वाहन सड़क पर खड़े रहते हैं। संक्रमित मरीज को सड़क पर ही उतारने व बाहर एम्बुलेंस खड़ी रहने से राहगीरों को संक्रमण का खतरा बना रहता है। आसपास के क्षेत्रवासी पूर्व में भी इस बाबत शिकायत कर चुके हैं।
इनका कहना है मैने एक दिन पहले ही प्रशासन को डिस्चार्ज किए गए मरीजों की जानकारी दी थी। डिस्चार्ज पर्ची भी दिखाई थी। एक मरीज को दो सिलेंडर तो चाहिएं ही। नोटिस का जवाब दिया जा रहा है।
दीपक इसरानी
दीपक इसरानी
निदेशक,आर.एस.अस्पताल कोटड़ा अजमेर read more: कंपनियों के घमासान में खुली पोल,एडीए के सर्वर में खतरनाक वायरस