जिले में परंपरागत खेती के अंतर्गत खरीफ में बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंग की बम्पर पैदावार होती है। वहीं रबी की फसलों में गेहूं, सरसों, जीरा, धनिया की अच्छी उपज होती है। सब्जियों एवं फलों में जामुन, आंवला, पत्ता व फूल गोभी, गुलाब के फूल, गूंदा भी किसानों को मालामाल कर देते हैं। मगर इन सभी की फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से कई उत्पाद अभी भी तैयार नहीं हो रहे। खास बात यह है कि अजमेर जिले में 1 अरब 29 करोड, 77 लाख 4720 रुपए से अधिक की आय किसानों को फल-फूलों से हो रही है। इनमें गुलाब के अलावा किसी की भी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है।
इनके उत्पाद हो रहे तैयार जामुन : जामुन की चिप्स, जामुन का पेस्ट की पुष्कर में प्रोसिंग यूनिट लगी है। इसमें किसानों ने ही खेतों में यूनिट लगाई है।
आंवला : आंवला से मुरब्बा, आंवला कैंडी, आंवले का जूस आदि के उत्पाद स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट में तैयार हो रहे हैं। लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट 5-7 ही हैं।
गुलाब : गुलाब के फूलों से गुलकंद, गुलाब का इत्र, गुलाब जल, गुलाब का शर्बत, अर्क आदि की पुष्कर में यूनिट स्थापित हैं। मगर इनमें और भी संभावनाएं हैं। जीरा की प्रोसेसिंग यूनिट का अभाव
अजमेर जिले में केकड़ी, भिनाय आदि ब्लॉक में जीरा, धनिया का अच्छा उत्पादन होता है। जीरा यहां से अन्य जगह निर्यात होता है। लेकिन यहां कोई प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। इससे जीरा, धनिया, सौंफ आदि का तेल निकालने की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है।
संभावनाएं -बाजरे का बम्पर उत्पादन होने के साथ इसकी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। अगर प्रोसेसिंग यूनिट हो तो बाजरा का खीचड़ा की पैकिंग, बाजरे का आटा, बाजरे के बिस्किट, बाजरे के मीठे सोकरे आदि तैयार किए जा सकते हैं। इनकी डिमांड भी है।
-चने की भी अच्छी पैदावार अजमेर में है लेकिन चना दाल, बेसन आदि की प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा सकती है।
-सफेद सोना ( कपास) क ा भी उत्पादन है। ऐसे में बिजयनगर में तो प्रोसेसिंग यूनिट है लेकिन किशनगढ़, अजमेर के आसपास कोई यूनिट नहीं है।
बागवानी खेती एवं यूनिट से किसानों का जिले की आय में मुख्य योगदान फसल एरिया उत्पादन (मै.टन) उत्पादन क्षमता (प्रति है./ किग्रा) आंवला 401 898 2239
जामुन 108 41 380 फालसा 8 6 750
अनार 48 217 4521
गोंदा 172 339 1971
गुलाब 1076 565 525 हजारा 405 6875 16975 इनका कहना है जिले में कुछ किसानों ने प्रोसेसिंग यूनिट लगाई है लेकिन जिलेभर में प्रोसेसिंग यूनिट और लगाई जा सकती है। सरकार की ओर से अनुदान की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
के.पी. सिंह, सहायक निदेशक (उद्यान) कृषि विभाग