अभी जुगाड़ से चला रहे हैं काम निगम प्रशासन अभी तक सिविल विंग को किसी तरह जुगाड़ से चला रहा है। इस विंग में दशकों से पदोन्नति नहीं हुई है। एईएन एक्सईएन के पद से ही अभियंता सेवानिवृत हो रहे है। पहले सिविल विंग का एचओडी मुख्य अभियंता (एमएम) हुआ करते थे। 2019 से संभागीय मुख्य अभियंता (अजमेर) को सिविल विंग का मुखिया बना रखा है जो कि एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। जिन्हें सिविल कार्यों का ज्यादा ज्ञान नहीं होता है इससे पता चलता है कि निगम अपने सिविल कार्यों को कितना गंभीरता से लेता है।
दशकों से नहीं हुई पदोन्नति निगम में जहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तो चीफ इंजीनियर और डायरेक्टर टेक्निकल जैसे पदों पर पदोन्नत हो जाते हैं परंतु डिस्कॉम की ही सिविल विंग में वर्तमान अधीक्षण अभियंता जो कि विगत कई वर्षों से अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं उनका प्रमोशन सिविल विंग में अगले स्तर पर इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि निगम में ऊपरी स्तर पर कोई पद ही स्वीकृत नहीं है।
पूर्व में कमी बता वापस लौटाया प्रस्ताव निगम डिस्कॉम प्रशासन के द्वारा पूर्व में भी दो बार राज्य सरकार को एडिशनल चीफ इंजीनियर सिविल के पद के लिए प्रस्ताव भेजा गया लेकिन ऊपरी स्तर पर सही पैरवी नहीं होने कारण प्रस्ताव में कमी निकालते हुए वापास लौटा दिया गया।होटल की तरह बनाया मुख्यालयनिगम की सिविल विंग ने पंचशील में स्वयं डिजाइन पर होटल की तरह मुख्यालय भवन का निर्माण कम खर्च में करवाया है। यह अजमेर के सरकारी भवनों में अलग ही नजर आता है। हाल ही हाथीभाटा पावर हाउस में मुख्य अभियंता का नया भवन बनाया गया है।