पौराणिक जानकारी के अनुसार पुष्कर तीर्थ वर्ष पर्यंत अंतरिक्ष में विद्यमान रहता है लेकिन कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा तक के 5 दिनों की अवधि में पुष्कर तीर्थ अष्ट भूमि के नाम से विख्यात पुष्कर राज की तरह पर विद्यमान रहता है इन 5 दिनों की अवधि में देवी देवता गंधर्व ऋषि मुनि अलग-अलग रूपों में पुष्कर सरोवर में स्नान करने के साथ-साथ परिक्रमा के मंदिरों के दर्शन करते हैं।
पद्मपुराण के शृष्टि खंड में वर्णित कथा के अनुसार जगतपिता ब्रह्मा ने वज्रनाभ नामक राक्षस का वध करने के लिए कमल रूपी पुष्प फेका था। पुष्प की तीन पंखुडिय़ां तीन स्थानों पर गिरी वहां पर तीन जल धाराएं बह निकली। जिनका नाम मध्य पुष्कर ज्येष्ठ पुष्कर, रूद्र पुष्कर रखा गया है। वर्तमान में ज्येष्ठ पुष्कर में 5 दिनों का पुष्कर धार्मिक पुष्कर मेला लग रहा है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 19 नवंबर को यह महा स्नान संपूर्ण होगा ।
घाटों पर चारों और आस्था का सैलाब पुष्कर का धार्मिक मेला शुरू होने के साथ ही पुष्कर सरोवर के घाटों पर चारों और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। नगाड़े बजाकर भगवान ब्रह्मा के तीर्थ का स्वागत किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नगाड़ा वादक नाथू लाल सोलंकी अपनी टीम के साथ पुष्कर सरोवर के ब्रह्म घाट पर सामूहिक रूप से नगाड़ा वादन कर रहे हैं। उनके साथ विदेशी महिला भी संगत कर रही है। यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्टार बैंड बाजों के साथ भगवान के भक्ति भरे गीत गाए जा रहे हैं।