कोरोनावायरस का हवाला देते हुए इस बार पुष्कर मेले में किसी प्रकार के सांस्कृतिक व मनोरंजन कार्यक्रम करने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके चलते सर्कस, झूले, चकरियां जैसे कोई मनोरंजन के साधन नहीं लगे। पुष्कर मेला का पारंपरिक रूप खोया खोया सा नजर आया मेले में घूमने आए विदेशी पर्यटक भी मनोरंजन के साधनों के अभाव में चिंतित नजर आए।
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पुष्कर मेले के 10 दिन की अवधि में सर्कस झूले चकरिया लगाकर अपनी जीविका गुजार रहे मजदूर भी ठाले बैठे हैं। वही जमीन मालिकों के किराए नहीं आने से उनके भी उनका भी रोजगार ठप हो गया। पत्रिका ने चलाया अभियान
राजस्थान पत्रिका की ओर से इस बारे में अभियान चलाया। विधायक सुरेश सिंह रावत ,प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नसीम अख्तर सहित यहां के संतों महंतों राज्य की पदाधिकारियों के माध्यम से मुद्दे के रूप में समाचार प्रकाशित किए गए। इसमं गरीब मजदूरों की रोजी रोटी के संकट की व्यथा उजागर की गई।
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अब दिखेंगे मेले में ये नजारे
जिला कलेक्टर प्रकाश पुरोहित ने मेला मैदान का दौरा करने के बाद पत्रिका से हुई बात में इस बात का खुलासा किया केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन मि सांस्कृतिक आयोजन एवं मनोरंजन के साधनों पर छूट दी गई है। उन्ह ोंने मेले में मनोरंजन के साधन लगाने की हरी झंडी दे दी। इसी के साथ पुष्कर मेले का पारंपरिक रूप वापस निकलने के आसार बन गए हैं।
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