मारवाड़ और मेवाड़ की सरहदों का संगम होने से अजमेर को मेरवाड़ा का नाम मिला। राजा अजयपाल, अर्णोराज, पृथ्वीराज चौहान के बसाए शहर में हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध, मसीह, सिंधी, आर्य, सिख, मुस्लिम और अन्य धर्मों की संस्कृति सदियों से रची-बसी हुई है।
यूं मिला गढ़ बीठली नाम..
समुद्र तल से 1855 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थिति है। महारानी के नाम पर तारागढ़ तारागढ़ को अरावली का हृदय माना जाता है। अजयराज चौहान द्वारा 1033 ईस्वी में निर्मित किला अपनी बनावट और भव्यता के लिए मशहूर है। 1505 ईस्वी में चित्तौडगढ़़ के महाराणा जयमल के बेटे पृथ्वीराज ने किले पर अधिपत्य जमाया। उसने अपनी पत्नी तारा के नाम पर इसे तारागढ़ का किला नाम दिया।
समुद्र तल से 1855 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थिति है। महारानी के नाम पर तारागढ़ तारागढ़ को अरावली का हृदय माना जाता है। अजयराज चौहान द्वारा 1033 ईस्वी में निर्मित किला अपनी बनावट और भव्यता के लिए मशहूर है। 1505 ईस्वी में चित्तौडगढ़़ के महाराणा जयमल के बेटे पृथ्वीराज ने किले पर अधिपत्य जमाया। उसने अपनी पत्नी तारा के नाम पर इसे तारागढ़ का किला नाम दिया।
कई युद्धों का रहा साक्षी
तारागढ़ अथवा गढ़ बीठली कई युद्धों का साक्षी रहा है। चौहानों के बाद यह अफगान, मुगल, राजपूत, मराठा और अंग्रेजों के अधिकार में रहा। औरंगजेब और दाराशिकोह के बीच 1659 में हुए युद्ध के दौरान गढ़ बीठली को जबरदस्त नुकसान पहुंचा। इसके बाद अंग्रेजों ने 1820 से 1930 के दौरान इसमें काफी बदलाव किए।
तारागढ़ अथवा गढ़ बीठली कई युद्धों का साक्षी रहा है। चौहानों के बाद यह अफगान, मुगल, राजपूत, मराठा और अंग्रेजों के अधिकार में रहा। औरंगजेब और दाराशिकोह के बीच 1659 में हुए युद्ध के दौरान गढ़ बीठली को जबरदस्त नुकसान पहुंचा। इसके बाद अंग्रेजों ने 1820 से 1930 के दौरान इसमें काफी बदलाव किए।
बनाया टीबी सेनिटोरियम
लॉर्ड विलियम बैंटिक ने तो 1832ईस्वी में इसके परकोटे को भी तुड़वा दिया था। बाद में यहां अंग्रेजों ने टीबी सेनिटोरियम बनवाया। कई साल तक यहां टीबी के मरीजों का उपचार किया जाता था। मराठा गवर्नर शिवाजी नाना ने 1791 में यहां पानी का टैंक बनवाया। इसे नाना टैंक कहा जाता है। कई युद्ध झेलने के कारण अंग्रेज तो इसे यूरोप का जिब्राल्टर कहते थे।
लॉर्ड विलियम बैंटिक ने तो 1832ईस्वी में इसके परकोटे को भी तुड़वा दिया था। बाद में यहां अंग्रेजों ने टीबी सेनिटोरियम बनवाया। कई साल तक यहां टीबी के मरीजों का उपचार किया जाता था। मराठा गवर्नर शिवाजी नाना ने 1791 में यहां पानी का टैंक बनवाया। इसे नाना टैंक कहा जाता है। कई युद्ध झेलने के कारण अंग्रेज तो इसे यूरोप का जिब्राल्टर कहते थे।