
अजमेर। Rajasthan Assembly Election 2023 : यों तो विधानसभा चुनाव में हर बार राजनीतिक दलों के अलग-अलग प्रत्याशियों में मुकाबले होते हैं, लेकिन अजमेर उत्तर (पूर्व में अजमेर पश्चिम) राज्य की एकमात्र सीट है, जहां सिंधी समुदाय का शुरूआत से दबदबा कायम है। विभाजन के बाद भारत आए सिंधी समुदाय की सर्वाधिक आबादी अजमेर में है। सियासी तौर पर समुदाय के प्रत्याशी का हर विधानसभा में प्रतिनिधित्व रहा है।
1947 में आजादी के बाद कई साल अजमेर केंद्र शासित प्रदेश रहा। नवम्बर 1956 में इसका संयुक्त राजस्थान में विलय हुआ। परिसीमन में इसे अजमेर पश्चिम और अजमेर पूर्व सीट आवंटित हुई। इसमें से अजमेर पश्चिम सीट अघोषित रूप से सिंधी समुदाय के प्रतिनिधित्व की पहचान बनी हुई है। वर्ष 1957 से 2018 तक हुए विधानसभा चुनाव में इसी समुदाय के प्रतिनिधि निर्दलीय अथवा कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर जीतते रहे हैं।
सिंधी समुदाय के विधायक
1957 अर्जनदास
1962 पोहूमल
1967 भगवानदास
1972 किशन मोटवानी
1977 नवलराय बच्चाणी
1980 भगवानदास शास्त्री
1985 किशन मोटवानी
1990 हरीश झामनानी
1993 किशन मोटवानी
1998 किशन मोटवानी
2003 से अब तक- वासुदेव देवनानी
नहीं चला दूसरा फार्मूला
कई बार चुनाव में कांग्रेस ने दूसरे वर्गों के प्रत्याशियों को अजमेर उत्तर सीट से टिकट दिए, लेकिन प्रयोग चल नहीं पाया। खासतौर पर पिछले तीन चुनाव में तो सिंधी प्रत्याशी ही विजयी रहे हैं। सिंधी समुदाय ने अपना प्रतिनिधित्व विधानसभा में लगातार कायम रखा है।
देश में भी एकमात्र सीट
अजमेर उत्तर (पूर्व में अजमेर पश्चिम) संभवत: एकमात्र सीट है, जिस पर सिंधी प्रत्याशी लगातार जीत रहे हैं। अन्य वर्ग के प्रत्याशियों को कामयाबी अब तक नहीं मिल पाई है।
Published on:
16 Oct 2023 02:06 pm
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