अजमेर जिले में एक ‘चौकड़ी’ ऐसी भी रही है जिसने भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशियों को समय-समय पर किनारे किया। विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टी की पूरी ताकत के सामने इस ‘चौकड़ी’ ने जबरदस्त टक्कर दी। यही नहीं इन्होंने विधानसभा चुनाव जीत कर निर्दलीय जमात का परचम फहराया।
अजमेर जिले की आठों विधानसभा क्षेत्रों में आजादी के बाद से अब तक चार निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे रहे हैं जिन्होंने कभी भाजपा प्रत्याशी को कभी कांग्रेस प्रत्याशियों को चारों खाने चित्त किया। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में एक चुनाव तो ऐसा भी रहा है जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी की टक्कर अन्य निर्दलीय प्रत्याशी से ही रही। इसमें कांग्रेस एवं अन्य प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी तीसरे से चौथे नम्बर रहे। निर्दलीय प्रत्याशियों को जिताने वाले विधानसभा क्षेत्रों में अजमेर उत्तर ( तत्कालीन अजमेर पश्चिम), अजमेर दक्षिण (तत्कालीन अजमेर पूर्व), ब्यावर एवं मसूदा शामिल रहे हैं। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ब्रह्मदेव कुमावत ने कांग्रेस प्रत्याशी रामचन्द्र चौधरी को हराया। कुमावत को 42170 मत मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी को 34 492 मत मिले। यहां भाजपा प्रत्याशी की करारी हार हुई।
ब्यावर में निर्दलीय चंपालाल जैन की निर्दलीय लाल सिंह की टक्कर ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1990 का मुकाबला रोचक रहा। यहां निर्दलीय प्रत्याशी चम्पालाल जैन ने निर्दलीय प्रत्याशी ाल सिंह को कड़े मुकाबले में हराया। चंपालाल जैन को 18 हजार 532 मत मिले तो लालसिंह 16 हजार 401 मत ले गए। यहां भाजपा-कांग्रेस मुंह दिखाने लायक नहीं रही थी।
1957 में अजमेर शहर निर्दलीयों पर सवार वर्ष 1957 के पहले विधानसभा चुनावों में अजमेर शहर के दोनों विधानसभा क्षेत्र की जनता निर्दलीयों पर सवार रही। अजमेर पूर्व विस क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी महेन्द्र सिंह 16 ने हजार 778 मत हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी बालकृष्ण कौल को हराया। कौल को 8 हजार 211 वोट मिले। इसी तरह अजमेर पश्चिम सीट से निर्दलीय अर्जनदास ने कांग्रेस प्रत्याशी पोहुमल को हराया। अर्जनदास को 14 हजार 440 तो पोहुमल को 10 हजार 410 मत मिले।