हर बार अप्रेल में शुरू की जाती है जलापूर्ति
ऐसा नहीं है कि रणथम्भौर में गर्मियों में जल संकट पैदा होता है। वन विभाग की ओर से हर साल गर्मियों में वन्यजीवों की सुविधा के लिए रणथम्भौर के कई इलाकों में टैंकरों से जलापूर्ति की जाती थी। इसके लिए वन विभाग की ओर से टैंकरोंं के टैण्डर किए जाते थे। लेकिन इस बार मार्च मेंं ही रणथम्भौर में वन्यजीवों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसा नहीं है कि रणथम्भौर में गर्मियों में जल संकट पैदा होता है। वन विभाग की ओर से हर साल गर्मियों में वन्यजीवों की सुविधा के लिए रणथम्भौर के कई इलाकों में टैंकरों से जलापूर्ति की जाती थी। इसके लिए वन विभाग की ओर से टैंकरोंं के टैण्डर किए जाते थे। लेकिन इस बार मार्च मेंं ही रणथम्भौर में वन्यजीवों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
और विकट हो जाएंगे हालात
अभी तो केवल गर्मी की शुरुआत है अप्रेल से जून तक तो गर्मी और भी विकट हो जाएगी और ऐसे में यदि वन विभाग की ओर से समय रहते वन्यजीवों के पानी के प्रबंध नहीं किए गए तो गर्मी में वन्यजीवों के लिए हालात और भी विकट हो जाएंगे।
अभी तो केवल गर्मी की शुरुआत है अप्रेल से जून तक तो गर्मी और भी विकट हो जाएगी और ऐसे में यदि वन विभाग की ओर से समय रहते वन्यजीवों के पानी के प्रबंध नहीं किए गए तो गर्मी में वन्यजीवों के लिए हालात और भी विकट हो जाएंगे।
कई प्राकृतिक स्त्रोत सूख गए थे तो जेसीबी से नाले को खुदवा कर पानी भरवा दिया है। गो घाटी वन क्षेत्र में भी पानी है। फिर भी यदि कहीं पानी की समस्या होगी तो जानकारी कराकर वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
– एसएन सारस्वत, रेंजर, फलौदी, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।