रणथम्भौर में संघर्ष की आशंका, बाघ टी-110 ने जमाया टी-62 के क्षेत्र में कब्जा
वन विभाग की बढ़ी चिंता

सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर में बाघों का कुनबा बढऩे के साथ विचरण क्षेत्र कम पडऩे लगा है। ऐसे में टेरेटरी को लेकर बाघ आए दिन आमने-सामने हो रहे है। एक बार फिर से ऐसी ही स्थितियां जोन नम्बर 9 में देखने को मिल सकती हैं। दरअसल, रणथम्भौर के जोन नम्बर 9 में बाघ टी-62 का मूवमेंट रहता है, लेकिन गत दिनों बूंदी के साकावदा वन क्षेत्र से रणथम्भौर लौटे बाघ टी-110 ने जोन नम्बर 9 में अपना डेरा डाल लिया है। ऐसे में अब इलाके को लेकर दोनों बाघों के आमने-सामने होने की आशंका जताई जा रही है।
क्वालजी व गाजीपुर वनक्षेत्र में है मूवमेंट
फिलहाल दोनों बाघों का मूवमेंट जोन नम्बर 9 के अलग-अलग इलाकों में है। टी-62 का मूवमेंट जहां जोन नम्बर 9 के गाजीपुर वनक्षेत्र में है, वहीं टी-110 फिलहाल क्वालजी वनक्षेत्र के आस-पास विचरण कर रहा है। लेकिन ये दोनों ही क्षेत्र आस-पास होने के कारण जल्द ही बाघों का आमना-सामना हो सकता है। संघर्ष की आशंका को देखते हुए वन विभाग की चिंता बढ़ गई है। एहतियात के तौर पर चार सदस्य टीम बाघों की ट्रैकिंग के लिए लगा दी गई है।
लाडली की संतान है टी-62
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाघ टी-62 रणथम्भौर की बाघिन टी-8 यानि लाडली की पहले लिटर की संतान है। इसका जन्म 2011 में हुआ था। इस बाघ ने 2013 में मां से अलग होकर टैरेटरी बना ली थी। 2016 में यह बाघ रामगढ़ चला गया था। फिर 2018 में यह बाघ वापस रणथम्भौर आ गया। इसके बाद 2019 में फिर रामगढ़ चला गया। जो कुछ माह पहले ही रणथम्भौर में वापस आया है।
बाघ टी-62 व टी-110 दोनों जोन नम्बर 9 में विचरण कर रहे हैं। फिलहाल टी-62 का मूवमेंट गाजीपुर इलाके में व टी-110 का मूवमेंट क्वालजी वन क्षेत्र में है। एक ही जोन में दोंनों बाघों के विचरण करने से संघर्ष की आशंक बनी हुई है। बाघों की ट्रेकिंग कराई जा रही है।
एस एन सारस्वत, रेंजर, फलौदा वन क्षेत्र, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर
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