वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन टी-48 को आखिरी बार करीब डेढ़ माह पहले गोपालपुरा वन क्षेत्र में देखा गया था। इसके बाद से बाघिन ट्रैक नहीं हो पा रही थी। बाघिन की तलाश में लगातार टे्रकिंग की जा रही थी। लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। वनाधिकारियों की माने तो बारिश के कारण भी बाघिन की साइटिंग नहीं हो रही थी।
14 दिन तक तलाश, तब मिली सफलता
वनाधिकारियों ने बताया कि कई दिनों तक बाघिन के नजर नहीं आने के बाद बाघिन को टे्रस करने के लिए स्पेशल टाइगर टे्रकिंग टीम को तैनात किया गया। टीम ने लगातार फलौदी रेंज में 14 दिनोंं तक बाघिन को टे्रक करने के लिए टे्रकिंग की और कई स्थानों पर फोटो ट्रैप कैमरे लगाए। 31 अगस्त को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर बाघिन टी-48 इण्डाला वन क्षेत्र में फोटो ट्रैप कैमरे में कैद हो गई। टे्रकिंग टीम में निरंजन शर्मा व हनुमान गुर्जर सहित अन्य वनकर्मी शामिल थे।
इस क्षेत्र में करती है विचरण वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन टी-48 का मूवमेंट रणथम्भौर की फलौदी रेंज के इण्डाला, बालाजी टेंट व गोपालपुरा आदि वन क्षेत्र में रहता है। इस इलाके में बाघ टी-57, टी-96, टी-3 व टी-65 का मूवमेंट भी रहता है।
अब तक नहीं बन सकी मां
वनाधिकारियों ने बताया कि बाघिन टी-48 की उम्र करीब 13 साल से अधिक है। बाघिन की अब तक रणथम्भौर में कई बाघों के साथ मैटिंग हो चुृकी है, लेकिन बाघिन ने एक बार भी शावकों को जन्म नहीं दिया। यह बाघिन रणथम्भौर की सबसे उम्रदराज बाघिनों में शुमार है।
पिछले डेढ़ माह से बाघिन टी-48 नजर नहीं आ रही थी। बाघिन की स्पेशल टे्रकिंग टीम से लगातार टे्रकिंग कराई जा रही थी। आखिरकार इण्डाला वन क्षेत्र में बाघिन कैमरे में कैद हुई। बाघिन की लगातार टे्रकिंग कराई जा रही है।
– मोहनलाल गर्ग, रेंजर खण्डार, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।