RAS 2018: तुरन्त भरें ऑनलाइन सेवा प्राथमिकता क्रम
राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात (जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी) के पदों को राज्य सेवा में शामिल करने के चलते ऑनलाइन सेवा प्राथमिकता क्रम भरवाए जा रहे हैं।
अजमेर.
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने आरएएस एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा सीधी भर्ती)-2018 में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से ऑनलाइन सेवा प्राथमिकता क्रम मांगे हैं। राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात (जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी) के पदों को राज्य सेवा में शामिल करने के चलते ऑनलाइन सेवा प्राथमिकता क्रम भरवाए जा रहे हैं।
आयोग ने आरएएस एवं अधीस्थ सेवा भर्ती के तहत 12 अप्रेल 2018 को ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। तब राज्य सेवा (आरएएस सहित) के 405 और अधीनस्थ सेवा के लिए 575 सहित टीएसपी के 37 पद (1017) शामिल थे। कार्मिक विभाग ने राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात (जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी) के 16 पदों (पूर्व के 2 पद सहित अब 18) को राज्य सेवा में शामिल किया है।
इसके अनुसार राज्य सेवा में 437 और अधीनस्थ सेवा के 577 पद हो गए हैं। इसके तहत आयोग ने ऑनलाइन सेवा प्राथमिकता क्रम मांगे हैं। अभ्यर्थी 2 दिसंबर को रात्रि 12 बजे तक सेवा प्राथमिकता क्रम भर सकेंगे। मालूम हो कि आयोग ने 5 अगस्त 2018 को आरएएस प्रारंभिक और 25 और 26 जून 2019 को आरएएस मुख्य परीक्षा कराई थी। इसी साल 9 जुलाई को जारी मुख्य परीक्षा के परिणाम में आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा के 1051 पदों की एवज में 2010 अभ्यर्थी पास किए गए हैं।
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लैब में आउटडेट हुए उपकरण, इनसे कराते 21 वीं सदी की पढ़ाई...
रक्तिम तिवारी/अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का देश के श्रेष्ठ संस्थानों की सूची में स्थान बनाने का सपना पूरा होना मुश्किल है। अव्वल तो गिनती लायक शिक्षक एवं विद्यार्थी की कमी जिम्मेदार है। तिस पर विज्ञान संकाय के विभागों में हाईटेक और नई तकनीकी के उपकरण नहीं है। 25 साल पुराने कई उपकरण आउटडेट हो चुके हैं। फिर भी विवि लैब में इन्हें सजाए बैठा है।
विश्वविद्यालय में जूलॉजी, बॉटनी, प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री, माइक्रोबायलॉजी, पर्यावरण विज्ञान और रिमोट सेंसिंग विज्ञान संचालित हैं। इन विभागों की पिछले 30 साल से पृथक लैब हैं। सभी विभागों में राज्य सरकार-यूजीसी एवं राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान (रूसा) से मिले बजट से केमिकल, उपकरण और अन्य सामग्री की खरीद-फरोख्त होती है। लेकिन लैब में हाईटेक और नई तकनीक के उपकरणों को लेकर विवि के हालात बेहद दयनीय है।
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