सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्न धौलपुर जैसे डांग और बीहड़ों वाले जिले में सेना में भर्ती होना युवाओं के लिए सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्न है। विवाह आदि के लिए भी सेना में पदस्थापित होना बड़ी योग्यता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सेना का जवान होना किसी भी युवा के लिए स्वैग से कम नहीं होता है। ऐसे में तीन साल से भर्ती नहीं होने के कारण युवाओं की उम्मीदें भी दम तोडऩे लगी हैं।
सेना में कार्मिकों की बेहद कमी मार्च में राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने स्वीकार किया था कि 2020-21 में नियोजित 97 में से केवल 47 भर्ती रैली निकाली गईं थीं। भर्ती स्थगित होने से पहले इनमें से केवल चार ने ही सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईई) आयोजित की थी। उधर, सेना में कर्मियों की गंभीर कमी है। पिछले साल दिसंबर तक सेना में 1 लाख से अधिक, नौसेना में 12,431 और वायु सेना में 5,471 पद खाली थे।
2019 में भरतपुर में हुई थी भर्ती धौलपुर में आसपास अंतिम सेना भर्ती वर्ष 2019 में भरतपुर में आयोजित की गई थी। उस भर्ती में बड़ी संख्या में धौलपुर से भी युवाओं का चयन हुआ था। इसके बाद से यहां कोई भर्ती नहीं हो पाई है। हाल ही में करौली में भर्ती की घोषणा की गई थी लेकिन, फिलहाल इसे भी स्थगित कर दिया गया है।
गंगानगर में किया था प्रदर्शन सेना भर्ती शुरू करवाने की मांग को लेकर 17 मई को एसएफआइ ने प्रदर्शन करते हुए सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री निहालचंद मेघवाल के आवास का घेराव किया था। इससे पूर्व दिल्ली में भी पैदल मार्च कर युवाओं ने प्रदर्शन किया था। वहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में भी आए दिन सेना भर्ती की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
छाया था हरियाणा के युवक की आत्महत्या का मामला 26 अप्रेल को हरियाणा के भिवानी जिले में 23 वर्षीय युवक पवन ने सेना में नौकरी हासिल करने में असफल रहने पर आत्महत्या कर ली थी। यह मामला देश में काफी चर्चा में रहा था। तालू गांव के रहने वाले पवन पिछले कई सालों से सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे थे। उन्होंने पहले मेडिकल से लेकर फिटनेस तक सब बाधाएं पार कर ली थीं लेकिन, कोविड की वजह से नई भर्तियां नहीं आईं। इस बीच वो अधिकतम आयुसीमा को पार कर गए। जिससे इससे निराश होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। जहां से पवन का शव बरामद किया गया, वहां जमीन पर एक नोट पाया गया है जिसमें लिखा था ‘पापाजी, इस जन्म में तो फौजी नहीं बन सका, अगला जन्म लिया तो फौजी जरूर बनूंगा’।
इनका कहना है धौलपुर जैसे जिलों के युवाओं को सेना में भर्ती होने का जुनून होता है। पिछले तीन साल से भर्ती बंद है ऐसे में युवाओं के सपने टूट रहे हैं। ओवरएज होने का डर उन्हें सता रहा है।
- प्रणव मुखर्जी, प्रदेश सह सचिव, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद