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अजमेर

Recruitments: यहां गिनती लायक टीचर्स, कुलपति हैं इसकी सबसे बड़ी वजह

विश्वविद्यालय ने विधायक के प्रश्न का विधानसभा में जवाब भेजा है। इसमें कहा गया है कि 2017 के बाद से कुलपति पद पर लगातार संकट कायम है।

अजमेरMar 16, 2021 / 08:39 am

raktim tiwari

recruitment in mdsu

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में भर्तियों की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही। बीस शिक्षकों और छह अधिकारियों के भर्ती को लेकर विधायक अनिता भदेल ने विधानसभा में सवाल पूछा। उन्होंने स्थाई कुलपति की नियुक्ति और सर्च कमेटी के बारे में भी जवाब मांगा है।
विश्वविद्यालयय ने अक्टूबर 2016 में विभागवार 22 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। इनमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। जूलॉजी और बॉटनी विभाग में प्रोफेसर की नियुक्ति हो चुकी है। जबकि विषयवार/विभागवार 20 शिक्षकों की भर्ती और होनी है।
2018 में अधिकारियों के आवेदन
विश्वविद्यालय ने साल 2018 में अतिरिक्त कुलसचिव-1, उप कुलसचिव-2, शोध निदेशक, पुस्तकालयाध्यक्ष, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष पद के लिए आवदेन मांगे थे। इनकी नियुक्तियां भी नहीं हो पाई है। मौजूदा वक्त विश्वविद्यालय में 1 उप कुलसचिव और चार सहायक कुल सचिव (एक प्रतिनियुक्ति पर) कार्यरत हैं। इन्हीं अफसरों पर संस्थापन, सामान्य प्रशासन, शोध, डिग्री, स्पोट्र्स बोर्ड, सीडीसी एवं विधि, मुद्रण, दीक्षान्त, परीक्षा, एकेडेमिक, इंजीनियरिंग और अन्य विभागों की जिम्मेदारी है।
कुलपति पद बना भर्तियों में अड़चन
विश्वविद्यालय ने विधायक के प्रश्न का विधानसभा में जवाब भेजा है। इसमें कहा गया है कि 2017 के बाद से कुलपति पद पर लगातार संकट कायम है। 19 जुलाई 2017 से 20 अप्रेल 2018 तक भागीरथ सिंह अस्थाई कुलपति रहे। जुलाई 2018 में कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली की मृत्यु हो गई। इसके बाद एक महीने प्रो. कैलाश सोडाणी कार्यवाहक कुलपति रहे। 5 अक्टूबर 2018 को रामपाल सिंह कुलपति बना लेकिन 11 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने उसके कामकाज पर रोक लगा दी। 19 सितंबर 2019 को उसके कामकाज पर रोक हटी, लेकिन 7 सितंबर 2020 को वह घूसकांड में फंस गया। स्थाई कुलपति होने पर ही भर्तियां अंजाम दी जा सकती हैं।
जब हुआ था जबरदस्त विवाद…
साल 2007 में शिक्षकों की विवादास्पद भर्ती प्रक्रिया हुई थी भर्ती में आरक्षण का ध्यान नहीं रखने, देर रात तक साक्षात्कार कराने जैसी शिकायतों पर तत्कालीन राज्यपाल ए. आर. किदवई ने विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक और लिफाफे खोलने पर रोक लगाई थी। वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल एस. के. सिंह ने भर्ती प्रक्रिया के तहत लिफाफे और पैनल निरस्त कर दिए थे।

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