अजमेर

Flowers का गुलदस्ता हैं सभी धर्म, सबकी महक है बहुत जरूरी

जहां सत्यता वहीं सकारात्मक विचार और जीत हो सकती है।

अजमेरJun 16, 2019 / 02:50 pm

raktim tiwari

national seminar

अजमेर.
सर्वपंथ समभाव हमारे सांस्कृतिक उत्थान की रीढ़ है। सभी धर्मों का परस्पर मैत्री भाव ही देश को गति दे सकता है। यह विचार भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान टोंक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में सामने आए।
इनकी महक हमारे लिए जरूरी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में श्रीमद भागवत गीता और कुरान में दार्शनिक विचार व मूल्य विषयक संगोष्ठी में बोलते हुए प्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक रामजी सिंह ने कहा कि सभी धर्म फूलों का गुलदस्ता हैं। इनकी महक हमारे लिए जरूरी है। हिन्दू और इस्लाम धर्म में कई चीजें समान रूप से घटित होती हैं। धर्म हमें कभी बैर रखना नहीं सिखाता है। आचार्य विनोबा ने भी कुरानसार नामक ग्रन्थ लेखन किया है। वास्तव में रूहानी ताकत के कारण हमारी संस्कृति अमिट है। जहां सत्यता वहीं सकारात्मक विचार और जीत हो सकती है।
लोक संग्रह से साक्षात सम्बन्ध

अध्यक्षता करते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा ने कहा कि भागवत गीता का सिद्धान्त का लोक संग्रह से साक्षात सम्बन्ध है। कुरान, बाईबिल सहित सभी ग्रंथ सांस्कृतिक उत्थान, परस्पर प्रेम और सद्भाव की सीख देते हैं।
शैक्षिक निदेशक प्रो. लक्ष्मी अय्यर ने श्रीमदभागवत गीता की विवेचना की। डॉ. सूरजमल राव ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस दौरान उनकी पुस्तक ‘रस-कलश’ का लोकार्पण किया गया। इस दौरान अक्षयपात्र फाउन्डेशन के सचिव सुंदरानंद, डॉ. साम्बशिव मूर्ति, डॉ. मोनिका आचार्य, प्रो. सरोज कौशल, डॉ. एन.के. भाभड़ा ने भी विचार व्यक्त किए।

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