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इनको नाम के आगे लगाना है डॉक्टर, यहां नहीं है कोई बताने वाला

locationअजमेरPublished: Nov 24, 2018 03:48:17 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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research entrance test

research entrance test

अजमेर.

शोध करने के इच्छुक विद्यार्थियों को पीएचडी प्रवेश परीक्षा का इंतजार है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय बेफिक्र है। उसकी पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने को लेकर कोई तैयारी नहीं है।

कॉलेज और विश्वविद्याल में ठनी
यूजीसी के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों ने देश में वर्ष 2009-19 से पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराना शुरू किया। इसमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय भी शामिल है। विश्वविद्यालय ने वर्ष 2010, 2011, 2015, 2016 और 2017 में परीक्षा कराई। यूजीसी के प्रतिवर्ष परीक्षा कराने के निर्देशों की यहां कभी पालना नहीं हुई। पहले कोर्स वर्क बनाने में देरी हुई। फिर कोर्स वर्क को लेकर कॉलेज और विश्वविद्याल में ठनी रही। कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी के प्रयासों से पीएचडी के जटिल नियमों में बदलाव के बाद विश्वविद्यालय ने लगातार तीन साल परीक्षा कराई।
विद्यार्थियों को इंतजार

शोध करने के इच्छुक कई विद्यार्थियों को पीएचडी प्रवेश परीक्षा का इंतजार है। वे कई बार विश्वविद्यालय में संपर्क कर चुके हैं। कुलपति के कामकाज पर लगी रोक से विश्वविद्यालय की दिक्कतें बढ़ी हुई हैं। नीतिगत फैसला लेने में प्रशासन को परेशानियां हो रही हैं।
देरी का दिखा असर….
विश्वविद्यालय के नियमित शोध पूर्व परीक्षा नहीं कराने का असर दीक्षांत समारोह में दिखा है। पिछले दो दीक्षान्त समाराहे में महज 20-20 पीएचडी डिग्री बांटी गई। जबकि पूर्व के दीक्षान्त समारोह में सौ से 125 तक पीएचडी डिग्रियां दी जाती रही है। मालूम हो कि पीएचडी उपाधियों और नवीन शोध के आधार पर ही विश्वविद्यालयों की पहचान होती है।
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