अजमेर

रेजीडेंट भी उतरे हड़ताल पर, अस्पताल हुए भगवान के भरोसे

बुधवार से रेजीडेंट चिकित्सकों ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी। रेजीडेंट ड्यूटी छोड़ बाहर आ गए।

अजमेरNov 08, 2017 / 06:32 pm

raktim tiwari

resident call strike in ajmer

सेवारत चिकित्सकों एवं इन्टन्र्स चिकित्सकों के बाद बुधवार दोपहर 3 बजे से रेजीडेंट चिकित्सकों ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी। रेजीडेंट ड्यूटी छोड़ बाहर आ गए। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्थाएं भी अब बिगड़ गई है। गुरुवार से जिले सहित ग्रामीण इलाकों में मुसीबतें और बढऩे के आसार हैं।
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ को समर्थन देते हुए रेजीडेंट चिकित्सकों ने भी हड़ताल कर दी। इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, राजकीय जनाना अस्पताल एवं सैटेलाइट चिकित्सालय की चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गई। दो दिनों से रेजीडेंट के भरोसे जिला मुख्यालय पर मिल रही चिकित्सा सुविधाएं भी अब लगभग फेल हो गई है।
अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीज एवं आपातकालीन इकाई में भर्ती मरीज भी चिकित्साकर्मियों के भरोसे हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से वरिष्ठ चिकित्सकों की ड्यूटी लगाने का दावा भले ही किया लेकिन मरीज परेशान हैं। आपातकालीन वार्ड में मरीजों के परिजन बार-बार चिकित्सक बुलवाने का आग्रह करते नहे मगर चिकित्साकर्मी सिर्फ आश्वासन ही दे पाए।
रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल की घोषणा के बाद मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. आर.के. गोखरु, अस्पताल अधीक्षक डॉ. अनिल जैन, एडीएम सिटी अबू सूफियान आदि ने चिकित्सा व्यवस्था की समीक्षा की। अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था के लिए चिकित्सकों की ड्यूटी के निर्देश दिए गए।
मरीजों की बढ़ी परेशानी
सेवारत डॉक्टर्स के सामूहिक इस्तीफे देने से तीन से अस्पतालों, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहले ही व्यवस्थाएं गड़बड़ा हुई है। अब रेजीडेंट के हड़ताल पर जाने से अस्पतालों में मरीजों की समस्याएं बढऩा तय है। पिछले दो दिन की तरह बुधवार को नर्सिंग स्टाफ ने किसी तरह मरीजों को संभाला। रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाते ही उन पर कामकाज का दबाव बढ़ गया है। गम्भीर रोग से प्रभावित मरीजों की देखभाल और तत्काल चिकित्सक उपलब्ध कराना मुश्किल है।
ठनी हुई है सरकार और डॉक्टर्स में
33 मांगों को लेकर राज्य सरकार और डॉक्टर्स में ठनी हुई है। सरकार पिछले दो दिन से डॉक्टर्स के साथ वार्ता में लगी है, पर कोई समझौता नहीं हो पाया है। हड़ताल का तीसरा दिन खत्म हो चुका है। आने वाले दिनों में कोई नतीजा नहीं निकला तो राजस्थान में स्थिति डांवाडोल हो सकती है। हालांकि सरकार का दावा है, कि उसने सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और निजी चिकित्सालयों से डॉक्टर्स को सेवा पर लगाया है। आयुर्वेद, होम्योपेथी, यूनानी चिक्तिसकों की भी सेवाएं ली जा रही हैं। लेकिन मरीजों को देखते हुए यह इंतजाम नाकाफी हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.