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देवनानी ने याचिका के माध्यम से सरकार को अवगत कराया कि 1892 में निर्मित फॉयसागर झील कभी शहरवासियों व पर्यटकों के आकर्षण (Tourist attractions) का केन्द्र होने के साथ ही क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति का एक प्रमुख स्त्रोत भी हुआ करती थी लेकिन वर्तमान में दुर्दशा का शिकार हो रही है। विगत वर्षो में पानी की आवक के रास्तों में हुए अतिक्रमण व बारिश की कमी से झील में भराव क्षमता से बहुत कम पानी पहुंच पाता है, उसमें से भी अवैध टैंकरों के माध्यम से जलदोहन व डीजल पम्पों से अवैध सिंचाई की जा रही है। झील में पानी की कमी के साथ.साथ इसके किनारे पर निर्मित पाल क्षतिग्रस्त हो चुकी है तथा किनारे पर स्थित उद्यान भी देखरेख के अभाव में उजड़ी अवस्था में है। इसके अतिरिक्त प्रशासन की अनदेखी के चलते झील में से मिट्टी का अवैध खनन भी किया जा रहा है। उन्होंने याचिका के माध्यम से सरकार से आग्रह किया है कि फॉयसागर झील की खुदाई, पाल की मरम्मत, उद्यान का विकास, बच्चों के लिए झूले व अन्य जनसुविधाओं का विकास तथा पानी के रास्ते से अतिक्रमण (Encroachment)हटवाते हुए झील का सम्पूर्ण पुनरूद्धार कार्य कराया जाए। यह भी पढ़ें