कुलपति के कामकाज पर रोक का सबसे ज्यादा असर विश्वविद्यालय की परीक्षाओं पर पड़ा है। पहले कॉपियां छपवाने और परीक्षा तिथियां तय करने में विलंब हुआ। विश्वविद्यालय को राजभवन से आदेश लेने पड़े। 28 फरवरी से प्रथम वर्ष स्वयंपाठी विद्यार्थियों की परीक्षाएं प्रारंभ हुई। इसी दौरान लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई। अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर और टोंक में प्रशासन ने चुनाव के लिए कई कॉलेज का अधिग्रहण कर लिया। ऐसे में विश्वविद्यालय को 22 अप्रेल से 24 मई तक की परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी हैं। अब 25 मई से विषयवार वार्षिक परीक्षाएं वापस शुरू होंगी।
परिणाम में देरी तय..
राजभवन ने साल 2014 से सभी विश्वविद्यालयों को 30 जून तक स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाएं कराने और परिणाम घोषित करने के निर्देश दिए हैं। कुछेक को छोडकऱ प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में इसकी पालना हो रही है। लेकिन महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय इस बार ऐसा नहीं कर पाएगा।
राजभवन ने साल 2014 से सभी विश्वविद्यालयों को 30 जून तक स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाएं कराने और परिणाम घोषित करने के निर्देश दिए हैं। कुछेक को छोडकऱ प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में इसकी पालना हो रही है। लेकिन महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय इस बार ऐसा नहीं कर पाएगा।
जुलाई तक चलेंगी परीक्षाएं जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक विश्वविद्यालय की सालाना परीक्षाएं चलेंगी। सभी परीक्षा परिणाम 30 जून तक निकाला जाना संभव नहीं होगा। अलबत्ता विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की सीमित पेपर/छोटी परीक्षाओं के परिणाम जारी कर सकता है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय की सत्र 2018-19 की परीक्षाओं में 3.20 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पंजीकृत हैं।