इस तरह पकड़ में आया फर्जीवाड़ा करीब तीन साल पूर्व जब एलिवेटेड रोड के पाइलों की फाउंडेशन का कार्य चल रहा था तो प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी के तत्तकालीन टीम लीडर निर्मल धीर और इंजीनियर प्रेम बिहारी द्वारा एलिवेटेड रोड का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के अनुसार एलिवेटेड रोड के पिलर नम्बर 10 की एम 35 स्ट्रैंथ की सीमेंट कंकरीट मिक्स डिजाइन द्वारा डाली जानी थी। जिस पर इनके द्वारा साइट पर जो टेस्ट कराए गए उनमें 7 दिन की कंप्रेसिव स्ट्रैंथ 46.6 किलो न्यूटन की टेस्ट रिपोर्ट बना रखी थी। पीएमसी के टीम लीडर ने रिपोर्ट में कहा कि यह संभव ही नहीं है 28 दिन के लिए 35 डिजाइन की गई थी उससे भी 11 किलोन्यूटन कंप्रेसिव स्ट्रैंथ ज्यादा आ रही है। टीम लीडर का कहना था कि 7 दिन के अंदर ऐसा संभव ही नहीं है। 28 दिन की स्ट्रैंथ कंकरीट में 7 दिन में कैसे आ सकती है और वह भी इतनी ज्यादा। इसके लिए तो मसाला ही तैयार नहीं कराया गया था।
धड़ले से पास हो रही निजी लैब की रिपोर्ट एक करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट पर नियमानुसार साइट पर ही ठेकेदार को मेटेरियल टेस्टिंग लैब लगाया जाना अनिवार्य है। लेकिन स्मार्ट सिटी के किसी भी प्रोजेक्ट की साइट पर यह लैब नहीं है। ठेकेदार धड़ल्ले से प्राइवेट कंपनियों की लैब जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं। कागजी सैंपल भी हो रहे हैं फेल हो रहे हैं।
केन्द्र की एडवाइजरी रख दी ताक पर स्मार्ट सिटी की लेखा शाखा स्मार्ट सिटी के फंड को लेकर जारी की गई भारत सरकार की एडवाइजरी को ताक पर रखकर बैठी है।जहां एडवाइजर के अंतर्गत स्मार्ट सिटी को निरीक्षण करके बिल के अनुसार ही भुगतान किया जाना था। लेखाशाखा ने एडवाइजरी कोई दरकिनार कर धड़ल्ले से भुगतान जारी रखा। पूर्व में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों की जांच ट्रेजरी के जरिए होती थी लेकिन अब इसे बाईपास कर बिल पास करवाए जा रहे हैं। यही नहीं एलीवेटेड रोड के लिए तो बिना काम हुए ही निर्माण कम्पनी को 100 करोड़ यानि कि 93 प्रतिशत तक भुगतान बिना काम के एडवासं ही कर दिया गया। केन्द्र सरकार को निर्माण कार्य की यूसी-सीसी भेजने में अब अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं।
पीएमसी पर कोई जुर्माना नहीं पीएमसी को स्मार्ट सिटी की प्रोजेक्टों की निगरानी के 12.50 करोड़ रूपए का ठेका दिया गया है जिसमें एलिवेटेड रोड मॉनीटरिंग भी शामिल है लेकिन निगरानी का कार्य बंद है। पीएमसी पर मॉनीटरिंग नहीं करने पर अब तक कोई जुर्माना भी नहीं लगाया गया है। इसका नतीजा हादसे के रूप में सामने आ रहा है।
निरीक्षण के लिए 39 लाख लेकिन खर्च नहीं एलीवेटेड रोड निर्माण में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि एलिटवेटेड रोड के थर्ड पाटी निरीक्षण के लिए 39 लाख् रूपए स्वीकृत है। एमएनआईटी से इसका थर्ड पाटी निरीक्षण करवाया जाना था लेकिन निरीक्षण नहीं करवाया गया। रिपाेर्ट भी नदारद है।
इनका कहना है मैडम के कहने पर पहले निरीक्षण किया गया था। बाद में इस पर रोक लगा दी गई। एलिवेटेड रोड की थर्ड पार्टी जांच एमएनआईटी से करवानी थी। इसके लिए राशि भी स्वीकृत है लेकिन मुझे अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।
अरविंद अजमेरा, टीम लीडर, पीएमसी, स्मार्ट सिटी अजमेर