पूर्व अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र यादव का कार्यकाल 1 दिसंबर को स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति अथवा किसी वरिष्ठ सदस्य को कार्यभार नहीं सौंपने के कारण पद त्याग कर चले गए थे। गुरुवार को राजभवन ने डॉ. शिवसिंह राठौड़ को सदस्य के साथ-साथ अध्यक्ष पद का कार्य भी संपादित करने के आदेश जारी किए।
भर्तियों में बनी रहे विश्वसीयता डॉ.राठौड़ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसकी भर्तियों में विश्वसनीयता बनी रहे यही ध्येय है। परीक्षाएं और साक्षात्कार समय पर कराकर अभ्यर्थियों को त्वरित नौकरी मिले, इसको लेकर आयोग सदैव तत्पर रहेगा।
स्थाई अध्यक्ष लेते हैं शपथ डॉ. राठौड़ ने नियमानुसार अध्यक्ष पद की शपथ के लिए कहा, तो अधिकारियों ने बताया कि आरपीएससी एक्ट के अनुसार स्थाई अध्यक्ष को ही शपथ दिलाई जाती है। वे 2016 में बतौर सदस्य पहले ही ले चुके हैं, इसीलिए इसकी आवश्यकता नहीं है।
यूं होती है अध्यक्ष की नियुक्ति… आरपीएससी का कार्य निर्धारणण नियम एवं शर्तें 1963, राजस्थान लोक सेवा आयोग ( शर्तें एवं प्रक्रिया का मान्यकरण अध्यादेश -1975, नियम-1976) के तहत हुआ है। नियमानुसार स्थाई अध्यक्ष के कार्यकाल समाप्ति वाले दिन सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल स्थाई अध्यक्ष अथवा किसी वरिष्ठ सदस्य को कार्यवाहक प्रभार सौंपने के आदेश जारी करते हैं।
वरना फुल कमीशन लेता है फैसला आयोग के एक्ट के अनुसार स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने पर फुल कमीशन की बैठक होती है। इसमें वरिष्ठतम सदस्य पत्रावलियों के निस्तारण, परीक्षाओं के आयोजन, साक्षात्कार बोर्ड तय करने (यदि साक्षात्कार-परीक्षा जारी हों) के लिए अधिकृत किया जाता है। पूर्व में भी साल 2017, 2018 में ऐसा हो चुका है।