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RPSC: करानी है री-टोटलिंग तो करें ऑनलाइन आवेदन

locationअजमेरPublished: Apr 08, 2021 08:50:10 am

Submitted by:

raktim tiwari

भ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं में प्राप्तांकों की पुन:गणना के लिए वेब से प्राप्तांकों की प्रिंट कॉपी के साथ सादा कागज पर प्रार्थना पत्र पेश करना होगा।

rpsc re-total facility

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अजमेर.

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने सहायक अभियंता प्रतियोगी परीक्षा (मुख्य)-2018 के असफल अभ्यर्थियों को प्राप्तांकों की पुन: गणना की सुविधा दी है। अभ्यर्थी 7 से 27 अप्रेल तक पुन: गणना करा सकेंगे।

सचिव शुभम चौधरी ने बताया कि मुख्य परीक्षा का परिणाम 4 मार्च 2021 को जारी प्राप्तांकों की असफल अभ्यर्थी पुन: गणना करा सकेंगे। अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं में प्राप्तांकों की पुन:गणना के लिए वेब से प्राप्तांकों की प्रिंट कॉपी के साथ सादा कागज पर प्रार्थना पत्र पेश करना होगा।
साथ ही सचिव के नाम प्रति प्रश्न 25 रुपए फीस भारतीय पोस्टल ऑर्डर संलग्न करना होगा। पुन: गणना आवेदन की सुविधा 27 अप्रेल तक मिलेगी। प्रार्थना पत्र में पुन:गणना के विषयों का उल्लेख और प्रश्नों के अनुसार शुल्क प्रस्तुत करना होगा। उत्तर पुस्तिकाओं के पुन: परीक्षण की सुविधा देय नहीं होगी।
अभ्यर्थियों ने किए आवेदन
उधर जस्थान लोक सेवा आयोग की आरएएस परीक्षा (मुख्य)-2018 के असफल अभ्यर्थियों को प्राप्तांकों की पुन: गणना की सुविधा समाप्त हो गई है। 1 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं।
हाईकोर्ट को भेजा जाएगा निलंबित कुलपति का जवाब

अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के घूसकांड में निलंबत पूर्व कुलपति रामपाल सिंह का राजभवन में दिया जवाब और लिखित अभ्यावेदन हाईकोर्ट को भी भेजा जाएगा। ताकि रामपाल को कोई विधिक लाभ लेने का अवसर नहीं मिले। उधर कुलपति सर्च कमेटी को भी फैसले का इंतजार है।
कुलाधिपति और राज्यपाल कलराज मिश्र ने रामपाल को मंगलवार को लिखित अभ्यावेदन और सुनवाई के लिए बुलाया था। वह जवाब दे चुका है। राजभवन उसके अभ्यावेदन और जवाब को हाईकोर्ट सहित सरकार को भेजेगा।
ताकि नहीं रहे कोई त्रुटि
रामपाल की याचिका पर हाईकोर्ट ने 19 फरवरी को रामपाल की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया था। साथ ही सरकार और राजभवन को विधिक ढंग से सुनवाई का मौका देते हुए कार्रवाई (बर्खास्तगी) के निर्देश दिए थे। लिहाजा राजभवन द्वारा रामपाल के लिखित अभ्यावेदन और जवाब को हाईकोर्ट भेजा जाएगा। ताकि उसे विधिक फायदा लेने का अवसर नहीं मिले।
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