आयोग के तमाम फूल प्रूफ सिस्टम इस कोडिंग व्यवस्था के आगे बौने हैं। आरएएस 2018 में अच्छे नंबर दिलाने की एवज में हुआ रिश्वतकांड सुर्खियों में हैं। एसीबी ने इस मामले में कनिष्ठ लिपिक (हाल निलंबित) सज्जनसिंह गुर्जर को 23 लाख रुपए के साथ ट्रेप किया था। जबकि कथित तौर पर खुद को सदस्य राजकुमारी गुर्जर के पति रिटायर्ड आईपीएस भैरोसिंह का निजी सचिव बताने वाले बांदीकुई के टोल सुपरवाइजर नरेंद्र पोसवाल को गिरफ्तार किया था। तबसे लगातार आयोग की अंदरूनी परतें उखड़ रही हैं।
आयोग में भर्तियां बढ़ीं तो….
आयोग ने बरसों तक आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती के अलावा कॉलेज व्याख्याता और अन्य खास भर्तियां ही कराई थीं। साल 2003-04 के बाद इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती, कनिष्ठ लिपिक सहित विभागवार भर्तियां मिलने लगीं। जिन परीक्षाओं में साक्षात्कार होते हैं, उनमें सैटिंग तय की जाती रही है। जिन अभ्यर्थियों से बिचौलिए डील करते हैं, उन्हें विशेष कोड देते हैं। ताकि संबंधित साक्षात्कार बोर्ड में शामिल लोग उसे समझ सकें।
आयोग ने बरसों तक आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती के अलावा कॉलेज व्याख्याता और अन्य खास भर्तियां ही कराई थीं। साल 2003-04 के बाद इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती, कनिष्ठ लिपिक सहित विभागवार भर्तियां मिलने लगीं। जिन परीक्षाओं में साक्षात्कार होते हैं, उनमें सैटिंग तय की जाती रही है। जिन अभ्यर्थियों से बिचौलिए डील करते हैं, उन्हें विशेष कोड देते हैं। ताकि संबंधित साक्षात्कार बोर्ड में शामिल लोग उसे समझ सकें।
गोपनीयता को दिखाते ठेंगा
आयोग की मानें तो अध्यक्ष साक्षात्कार से दस मिनट पहले साक्षात्कार बोर्ड तय करते हैं। वे सीलबंद लिफाफे में विशेष कोड लिखकर भिजवाते हैं। ताकि ना सदस्य ना किसी विशेषज्ञ या अभ्यर्थी को इसकी जानकारी लगे। लेकिन बिचौलियों द्वारा तय किए जाने वाले ‘गोपनीय कोड Ó के आगे यह फेल साबित हो रही है।
आयोग की मानें तो अध्यक्ष साक्षात्कार से दस मिनट पहले साक्षात्कार बोर्ड तय करते हैं। वे सीलबंद लिफाफे में विशेष कोड लिखकर भिजवाते हैं। ताकि ना सदस्य ना किसी विशेषज्ञ या अभ्यर्थी को इसकी जानकारी लगे। लेकिन बिचौलियों द्वारा तय किए जाने वाले ‘गोपनीय कोड Ó के आगे यह फेल साबित हो रही है।
यूं तय होते हैं विशेष काडवर्ड
(पुलाने लोगों द्वारा बताए गए उदाहरण)
-लाइनों वाली नीली शर्ट पहनकर पहुंचेगा लड़का
-हरे रंग की फूलों वाली साड़ी पहनी होगी लड़की
-ब्लैक कोट और जींस की पैंट पहनकर पहुंचेगा अभ्यर्थी
-चश्मा लगाया होगा, पहनी होगी सफेद शर्ट
-लड़की ने बना रखी होंगी दो चोटियां
-बॉब कट बाल पर लगा होगा सफेद हेयरबैंड
(पुलाने लोगों द्वारा बताए गए उदाहरण)
-लाइनों वाली नीली शर्ट पहनकर पहुंचेगा लड़का
-हरे रंग की फूलों वाली साड़ी पहनी होगी लड़की
-ब्लैक कोट और जींस की पैंट पहनकर पहुंचेगा अभ्यर्थी
-चश्मा लगाया होगा, पहनी होगी सफेद शर्ट
-लड़की ने बना रखी होंगी दो चोटियां
-बॉब कट बाल पर लगा होगा सफेद हेयरबैंड
दो किस्से, जिनके सर्वाधिक चर्चे…
आयोग द्वारा बरसों पूर्व की गई भर्तियों के दो किस्से सर्वाधिक चर्चित रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर सेवानिवृत्त अफसर ने बताया कि 80 के दशक में तत्कालीन वरिष्ठ अफसर के बेटे को एम्बेसेडर कार में बैठाकर परीक्षा दिलाई गई थी। बाद में वह नौकरी करते हुए बड़े पद से रिटायर हुआ। इसके अलावा एक पूर्व अध्यक्ष तो चहेते अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता के निर्धारण के लिए देर रात फुल कमीशन की बैठक बुलाने से नहीं चूके थे।
आयोग द्वारा बरसों पूर्व की गई भर्तियों के दो किस्से सर्वाधिक चर्चित रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर सेवानिवृत्त अफसर ने बताया कि 80 के दशक में तत्कालीन वरिष्ठ अफसर के बेटे को एम्बेसेडर कार में बैठाकर परीक्षा दिलाई गई थी। बाद में वह नौकरी करते हुए बड़े पद से रिटायर हुआ। इसके अलावा एक पूर्व अध्यक्ष तो चहेते अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता के निर्धारण के लिए देर रात फुल कमीशन की बैठक बुलाने से नहीं चूके थे।
गौरान पहुंच गए थे प्रेस में
साल 2014 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. हबीब खान गौरान कथित तौर पर अहमदाबाद स्थित प्रिंटिग प्रेस पहुंचकर पेपर लाए थे। इसको लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था। चौतरफा विरोध के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। आयोग को आरएएस 2013 परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी।
साल 2014 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. हबीब खान गौरान कथित तौर पर अहमदाबाद स्थित प्रिंटिग प्रेस पहुंचकर पेपर लाए थे। इसको लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था। चौतरफा विरोध के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। आयोग को आरएएस 2013 परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी।
रहती आई है सियासी दखल
एक वयोवृद्ध पूर्व वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि आयोग में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति में सियासी दखल रहती है। भाजपा और कांग्रेस सरकार के पिछले 10-10 साल के कार्यकाल में कई अध्यक्ष और सदस्य तैनात किए गए हैं। यूं तो आयोग एक संवैधानिक संस्थान है, लेकिन कथित तौर पर सरकारों का अंदरूनी तौर पर नियुक्तियों से लेकर कथित तौर पर भर्तियों दखल रहता है।
एक वयोवृद्ध पूर्व वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि आयोग में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति में सियासी दखल रहती है। भाजपा और कांग्रेस सरकार के पिछले 10-10 साल के कार्यकाल में कई अध्यक्ष और सदस्य तैनात किए गए हैं। यूं तो आयोग एक संवैधानिक संस्थान है, लेकिन कथित तौर पर सरकारों का अंदरूनी तौर पर नियुक्तियों से लेकर कथित तौर पर भर्तियों दखल रहता है।
मेरे कार्यकाल में आरएएस के साक्षात्कार कभी नहीं कराए हैं। इतना कह सकता हूं कि साक्षात्कार नियमानुसार फुल प्रूफ होते हैं। डॉ. हबीब खान गौरान, पूर्व अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग आरपीएससी संवैधानिक संस्था है, मेरा टिप्पणी करना अनुचित होगा।
सी.आर. चौधरी, पूर्व अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग