नागौर के डीडवाना रोड पर संचालित मैराथन कोचिंग सेंटर के संचालक प्रेमसुख सहित राजस्थान लोक सेवा आयोग के निलंबित यूडीसी प्रकाश पारचा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनकी वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के दौरान नकल कराने में लिप्तता सामने आई है।
इनमें आयोग के निलंबित कार्मिक प्रकाश पारचा को पुराने कारनामे जबरदस्त नुकसान पहुंचाएंगे। उधर आयोग फिलहाल पुलिस की तफ्तीश और प्रकरण की पूरी रिपोर्ट का इंतजार भी कर रहा है। पैंशन पर गिरेगी गाज
पारचार आयोग की करीब 38 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो गया। उसे पीएफ और अन्य परिलाभ तो राजकीय सेवा नियमानुसार मिल जाएंगे, लेकिन पैंशन पर गाज गिरना तय है। आयोग प्रशासन उसके पुराने कारनामों को देखते हुए सख्त कदम उठाने के मूड में है। मालूम हो कि पारचा 1997 में नकल कराने की गतिविधियों में शामिल था। उसे आयोग ने निलंबित किया था। बाद में बहाल होने के बाद भी वह नहीं सुधरा। नकल गिरोह के संपर्क में आने के बाद उसे 2014 में उसे फिर निलंबित किया गया था।
आयोग दे सकता है चार्जशीट गिरफ्तार कर्मचारी पारचा को आयोग प्रशासन को चार्जशीट भी दे सकता है। इसको लेकर तकनीकी और विधिक परामर्श जारी है। आयोग अध्यक्ष दीपक उप्रेती और सचिव पी. सी. बेरवाल अंदरूनी स्तर पर चर्चा में जुटे हैं। पारचा के पुराने प्रकरणों की पत्रावलियों का अध्ययन किया जा रहा है।
क्यों नहीं किया बर्खास्त! पारचा के पेपर लीक और अन्य मामलों में लिप्तता सामने आने के बावजूद आयोग ने ठोस कार्रवाई नहीं की। उसे दोनों बार सिर्फ निलंबित करके इतिश्री कर ली गई। जबकि वह आयोग की गोपनीयता भंग करने का आरोपित है। नियमानुसार आयोग उसे सरकार-कार्मिक विभाग से मंजूरी लेकर नोटिस और तीन माह का अग्रिम वेतन देकर बर्खास्त कर सकता था। इसके बावजूद ऐसा कुछ नहीं किया गया।