सचिव हरजीलाल अटल ने बताया कि सरकार ने अयोग को संस्कृत शिक्षा विभाग में प्राध्यापक के 102 पदों के लिए अभ्यर्थना भेजी है। ऑनलाइन आवेदन 16 मई से 14 जून तक भरे जा सकेंगे। सामान्य वर्ग के लिए 350, ओबीसी, एमबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए 250 तथा एससी-एसटी वर्ग के लिए 150 रुपए शुल्क होगा। आवेदन वन टाइम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से होगा।
यह होंगे विषयवार पद हिन्दी-28 अंग्रेजी-26 सामान्य व्याकरण-25 साहित्य-21 व्याकरण-02 Read More: बिसराए ड्रेनेज सिस्टम का दंश झेल रहा शहर
अजमेर. स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में ड्रेनेज सिस्टम बिगड़ा हुआ है। ब्रिटिशकालीन जल निकासी की व्यवस्था अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई। उधर, आरएसआरडीसी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, पीडब्ल्यूडी और अन्य महकमों ने मनमाने ढंग से सड़क-नालों के जाल बिछा दिए। इससे हर साल बरसात में निचले इलाके और प्रमुख सड़कें ताल-तलैया बन जाती हैं। जलभराव रोकने अथवा उसकी सुव्यवस्थित निकासी को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आता।
अजमेर. स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में ड्रेनेज सिस्टम बिगड़ा हुआ है। ब्रिटिशकालीन जल निकासी की व्यवस्था अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई। उधर, आरएसआरडीसी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, पीडब्ल्यूडी और अन्य महकमों ने मनमाने ढंग से सड़क-नालों के जाल बिछा दिए। इससे हर साल बरसात में निचले इलाके और प्रमुख सड़कें ताल-तलैया बन जाती हैं। जलभराव रोकने अथवा उसकी सुव्यवस्थित निकासी को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आता।
शहर बढ़ा, इंतजाम ध्वस्त अजमेर जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है। कुल 5,550 एमसीएफटी में तीन हजार एमसीएफटी पानी ही झील-तालाब अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी सड़क, नाले-नालियों और खाली भूखंडों में पहुंचकर अनुपयोगी हो जाता है। गुजरे 50 साल में शहर का विस्तार होने के साथ ही ब्रिटिशकाल में बना ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त हो गया। पानी की निकासी वाले नालों पर अतिक्रमण हो गए। बेतरतीब तरीके से बनी सड़कों-नालियों ने समस्या और बढ़ा दी।
पानी में डूब जाती है सड़क बरसात के दौरान राजकीय गर्ल्स कॉलेज-सिविल लाइंस वाली सड़क का आधा करीब 1 हजार मीटर का हिस्सा पानी में डूब जाता है। मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास ब्रिटिशकाल का विशाल नाला है, लेकिन इससे पानी की निकासी नहीं होती। भारी बारिश के दौरान यहां से वाहन चालक-राहगीर नहीं निकल सकते।