अजमेर

इस शख्स को सलाम ,मैथमेटिकस के नोट्स को उर्दू में तैयार कर अपनी कौम के गरीब बच्चों को दिखाई सफलता की राह

मुस्लिम समाज के युवा अब पढ़ाई में ही नहीं बल्कि अविष्कार की दुनियां में भी आगे आने लगे हैं।

अजमेरJun 29, 2018 / 07:42 pm

सोनम

इस शख्स को सलाम ,मैथमेटिकस के नोट्स को उर्दू में तैयार कर अपनी कौम के गरीब बच्चों को दिखाई सफलता की राह

अजमेर. मुस्लिम समाज के युवा अब पढ़ाई में ही नहीं बल्कि अविष्कार की दुनियां में भी आगे आने लगे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं अंदकोट निवासी सोहेल इशरत जिन्होंने उन बच्चों को पढ़ाने की ठान ली जो झुग्गी-झोपडिय़ों में पल बढ़ रहे हैं। उन्हें पढ़ाने में दिक्कत महसूस हुई तो मैथमेटिक्स के नोट्स उर्दू में तैयार किए और कौम के गरीब बच्चों की राह आसान कर दी। इसके लिए उन्होंने पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के दामाद हजरत अली के बताए गए मैथमेटिक्स के फार्मूलों को काम में लिया। सोहेल के बनाए गए नोट्स मैजिक मैथमेटिक्स के नाम से जाने जाते हैं।
 

सोहेल की मानें तो यह फार्मूला इतना आसान है कि कोई भी बच्चा गणित के सवाल मिनटों में हल कर देगा। सोहेल की इसी मेहनत का परिणाम है कि सुभाष उद्यान में मछलियों के लिए दाना बेचने वाली एक महिला की बेटी ने दसवीं में 73 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। दरगाह बाजार में जायरीन के सामने झोली फैलाने वाले एक भिखारी का बेटा दसवीं में फस्र्ट डिवीजन से पास हुआ है।
 

ऐसा उनके दिमाग में क्यों आया?

सोहेल बताते हैं कि जब मैं दसवीं की पढ़ाई कर रहा था, तब समाज में पढ़ाई का माहौल बहुत कम था। कौम में मैथमेटिक्स का कोई टीचर नहीं था। मुझे भी पढ़ाई में गणित काफी कठिन लगी। उस समय ही यह लगा कि अगर कौम के दो बच्चों को भी मैंने पढ़ाई में सहारा लगा दिया तो मुझे खुशी होगी। बस, यही सोच कर मेहनत करना शुरू कर दिया और दसवीं की पढ़ाई के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।

एम.ए. पास सोहेल तारागढ़ पर एक निजी स्कूल में प्रिंसीपल रह चुके हैं। उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज न केवल अच्छा मुकाम हासिल कर चुके हैं बल्कि वे अपनों बच्चों को भी पढऩे के लिए सोहेल के पास भेज रहे हैं। पिछले दिनों जब दसवीं का परिणाम आया तो सारे बच्चे मिठाई लेकर आए और केवल एक बच्चा खाली हाथ था। इससे सोहेल ही नहीं बल्कि उनके परिवार वाले भी उदास हो गए। उन्हें लगा कि बच्चा शायद फेल हो गया मगर ऐसा नहीं था वह बच्चा फस्र्ट डिवीजन से पास हुआ था। लेकिन बच्चे की हकीकत जान कर सभी की आंखों में आंसू आ गए। उसके पिता भीख मांग कर गुजारा करते हैं। इस घटना के बाद से सोहेल ने अपनी जिंदगी का यही एक मकसद बना लिया है कि वह गरीब बच्चों की पढ़ाई में जितनी मदद कर सकेंगे करते रहेंगे। सोहेल एक साल में 12 ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाई करवा रहे हैं जो फीस नहीं चुका सकते।
 

‘लड़कियों का पढऩा बहुत जरूरी

मुस्लिम समाज में अब लड़कियां भी पढ़ाई में आगे आ रही हैं। पढऩा सबका हक है, यही समझ कर मैं भी पढ़ाई कर रही हूं। लड़कियों का पढऩा इसलिए जरूरी है क्योंकि वह दूसरे घर में जाकर वहां भी शिक्षा का उजियारा कर सकती हैं। सोहेल सर के समझाने का तरीका अलग है। इसी वजह से मेरे अच्छे माक्र्स आए हैं।
-जुलेखा
‘किताबी के अलावा दुनियावी ज्ञान भी
मेरी पारिवारिक स्थित अच्छी नहीं थी, फिर भी सोहेल सर ने मुझे पढ़ाया और आज मैं उनकी बदौलत ही सहारा इंडिया की रामगंज ब्रांच में मैनेजर हूं। उनकी यही खूबी है कि वे फीस की चिंता नहीं करते। किताबी ज्ञान के अलावा दुनियावी ज्ञान के जरिए बच्चे को पढ़ाई में मजबूत करते हैं।
-वसीम अहमद

 

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