जैन संतों का कुंडलपुर पहुंचना शुरू आचार्य पदारोहण के अनुमोदन के लिए मुनि प्रमाणसागर, मुनि सुधासागर, मुनि अभयसागर, मुनि विनम्रसागर, योगसागर, मुनि नियमसागर, मुनि आगमसागर, आर्यिका गुरुमति, आर्यिका दृढ़मति माता, आर्यिका आदर्शमति, आर्यिका पूर्णमति माताजी का विहार शुरू।
अजमेर से रिश्ता मुनि समय सागर किशोर अवस्था में अजमेर आए थे। मुनि विद्यासागर 1968-69 में आचार्य ज्ञानसागर के साथ अजमेर परिवार सहित पहुंचे। उन्हें अब भी अजमेर की नसियां व केसरगंज के क़िस्से याद हैं।नवआचार्य का कुंडलपुर में प्रवेश 9 अप्रैल को
उनकी अगवानी करने के लिए नौ अप्रेल को व आचार्य पदारोहण दिवस 16 अप्रेल को अजमेर के जैन मतावलंबी कुंडलपुर उपस्थित रहेंगे। मुनि समय सागर अध्यात्म के विशेष जानकार हैं। अध्यात्म और दर्शनों के विषय पर उनकी पकड़, चर्या की उत्कृष्टता और वरिष्ठता, गंभीर निस्पृह वृत्ति के कारण उनको आचार्य पद के लिए नामांकित किया गया।पोस्टर विमोचन
इस अवसर पर नवाचार्य समयसागर के पोस्टर का विमोचन समग्र जैन समाज के प्रतिनिधियों ने किया। इस दौरान प्रमोदचंद सोनी, पुखराज पहाड़िया, प्रदीप पाटनी, अजय दनग़सिया, मनोज सेठी, प्रमोद सोरानी, प्रकाश पाटनी आदि मौजूद रहे।
———————————————————– समाज में हर्ष की लहर कुणाल जैन ने बताया कि आचार्य विद्यासागर ने 50 वर्षों तक आचार्य पद के दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। उनके इस तप का परिणाम है कि आज उनसे दीक्षित हजारों जीव अपनी आत्मा के कल्याण मार्ग में लगे हुए हैं। अब ज्येष्ठ मुनि समयसागर आचार्य पद संभालेंगे। इससे समाज में हर्ष है।
———————————————- कार्य कुशलता, गंभीर और शांत व्यक्तित्व के गुण संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर के समाधिस्थ होने के बाद हुई रिक्तता की पूर्ति उन्हीं के ज्येष्ठतम, साधना के चरम को प्राप्त निर्यापक मुनि समयसागर आचार्य पद के दायित्व को ग्रहण करेंगे। संघ संचालन और संघ में निर्देशित गूढ़ अध्ययन-अध्यापन की कार्य कुशलता, गंभीर और शांत व्यक्तित्व, निस्पृह वृत्ति आदि गुणों ने उन्हें आचार्य विद्यासागर के समस्त शिष्यों और अनुयायियों ने पुनः उसी पद पर प्रतिष्ठित किया है।
– ब्रह्मचारी शशांक जैन, अजमेर हथकरघा केंद्र संचालक एवं आचार्यश्री से दीक्षित