script…और वह सरकारी नौकरी छोड़ बन गई भिनाय सरपंच | Sarpanch of Bhinay Panchayat resigning from government job | Patrika News

…और वह सरकारी नौकरी छोड़ बन गई भिनाय सरपंच

locationअजमेरPublished: Jan 23, 2020 10:08:06 pm

Submitted by:

suresh bharti

जिंदगीभर के आराम की नौकरी पर सरपंच पद ‘भारी’, दिवंगत भाई की इच्छा पूरी करने का ***** ने उठाया बीड़ा, ससुराल में पत्नी तो पीहर में निभाएंगी मुखिया का धर्म

...और वह सरकारी नौकरी छोड़ बन गई भिनाय सरपंच

…और वह सरकारी नौकरी छोड़ बन गई भिनाय सरपंच

अजमेर. एक ओर हर कोई सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहा है। इसके लिए कोचिंग, आवेदन, प्रतियोगी परीक्षा व साक्षात्कार के लिए हजारों रुपए खर्च करने होते हैं। आखिर, यह सब क्यों न करे। सरकारी नौकरी ही ऐसी है जो जीवनभर की आजीविका का जरिया है।
फिर सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की राशि बुढ़ापे की लाठी का सहारा अलग। महंगाई बढ़े या कोई आए प्राकृतिक आपदा। घर गृहस्थी की गाड़ी चलानी हो या किसी संकट की घड़ी में चुनौती। यदि सरकारी नौकरी है तो नो टेंशन। आज के माहौल में सरकारी नौकरी चाहे कैसी भी हो। उसका कितना महत्व है। यह सब बताने की आवश्यकता नहीं है।
इसके इतर हाल ही में नवनिर्वाचित भिनाय की सरपंच डॉ. अर्चना सुराणा ने अलग ही मिसाल कायम की है, जिन्होंने सरकारी अध्यापिका की नौकरी से त्यागपत्र देकर सरपंच का चुनाव लड़ा। जनता ने भी साथ दिया और सरपंच बना दिया।
डिग्गी की बहू और भिनाय की बेटी

डॉ. सुराणा की भले ही टोंक जिले के डिग्गी कल्याण कस्बे में शादी हो गई, लेकिन उन्होंने पैतृक स्थान को विस्मृत नहीं किया। 2 अक्टूबर 1975 को भिनाय में जन्मी अर्चना ने शिक्षा, सेवा और धरातल की राजनीति को महत्व दिया। बी.ए, बी. एड और एम.ए. (संस्कूत साहित्य, हिन्दी साहित्य व इतिहास) की शिक्षा ग्रहण की। साथ ही नेट व पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। वर्तमान में भी जोधपुर यूनिवर्सिटी से डी. लिट की उपाधि के लिए अध्ययनरत है। विवाह के बाद अर्चना ने भिनाय की जनता से गहरा नाता रखा और जनता ने भी बेटी को अपना मुखिया बना दिया।
25 साल बाद इच्छा पूरी

भिनाय पंचायत में जिस समय पिता कन्हैयालाल सुरणा सरपंच थे। उस समय अर्चना मात्र दो-तीन साल की थी। पिता की मृत्यु के बाद भाई टीकमचंद राजनीति में सक्रिय हो गए। इनका लक्ष्य भिनाय सरपंच बनना था, लेकिन टीकमचंद की एक हादसे में मौत हो गई।
इस घटना को करीब 25 साल हो गए। इस दौरान अर्चना ने भाई की इच्छा पूरी करने के लिए भिनाय की जनता से सम्पर्क बनाए रखा। समाजसेवा, गरीब व असहाय की पीड़ा तथा पर्व-त्योहार के वक्त उपस्थिति दर्ज कराई। यही वजह रही कि भिनाय ग्राम पंचायत में सामान्य महिला के चुनाव में उन्होंने 1080 वोटों से जीत दर्ज कर भाई की इच्छा पूरी की। डॉ. अर्चना कहती है कि वह ससुराल में पत्नी और पीहर भिनाय में मुखिया की भूमिका निभाएगी।
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